बिहार राजभवन में नीतीश मंत्रिमंडल के नए मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह चल रहा है। सबसे पहले भाजपा के शाहनवाज हुसैन ने शपथ ली। उन्‍होंने उर्दू में शपथ ली।  अटल बिहारी वाजपेयी की कैबिनेट में शामिल होकर सबसे युवा मंत्री बनने का रिकार्ड बना चुके और सरकार के मुस्लिम चेहरा रहे शाहनवाज हुसैन की बिहार सरकार में यह पहली एंट्री है। अमूमन राजनीति की धारा प्रदेश से केंद्र की ओर बहती है लेकिन शाहनवाज के मामले में यह केद्र से राज्‍य की ओर चली है। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में एक भी मुस्लिम उम्‍मीदवार को टिकट न देने वाली भाजपा ने शाहनवाज को नीतीश मंत्रिमंडल में शामिल कराकर दूर का लेकिन बड़ा दांव खेला है।

शाहनवाज, नीतीश कैबिनेट का भी मुस्लिम चेहरा होंगे। बिहार के एक छोटे से गांव समस्‍तीपुर में जन्‍में, पटना और दिल्‍ली से पढ़ाई पूरी करने वाले शाहनवाज का बचपन से राजनीति में आने का सपना था। बचपन के इस सपने को पूरा करने के लिए शाहनवाज ने अपनी पूरी ताकत लगा दी। उन्‍होंने रेणु से लव मैरेज की। उनके दो बच्‍चे हैं। बताते हैं कि 1997 में एक कार्यक्रम के दौरान शाहनवाज का भाषण सुनकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि ये लड़का बहुत अच्‍छा बोलता है। यदि संसद में पहुंचा तो महत्‍वपूर्ण जिम्‍मेदारी निभा सकता है। 1998 के चुनाव में भाजपा ने उन्‍हें किशनगंज से राजद उम्‍मीदवार तस्‍लीमुद्दीन के खिलाफ उतारा। शाहनवाज वो चुनाव हार गए लेकिन करीब ढाई लाख वोट पाने से उनका हौसला बढ़ गया। 1999 में दोबारा हुए चुनाव में वह किशनगंज से सांसद बने। पहली बार संसद में पहुंचे और एनडीए की सरकार में राज्‍यमंत्री भी बन गए।

शाहनवाज को फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज, यूथ अफेयर, और स्पोर्ट्स जैसे विभाग मिले। 2001 में उन्हें कोयला मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया और सितंबर 2001 में नागरिक उड्डयन पोर्टफोलियो के साथ प्रोन्‍नति देते हुए उन्‍हें कैबिनेट मंत्री बना दिया गया। वह भारत के सबसे कम उम्र के कैबिनेट मिनिस्टर बनने के साथ-साथ अटल सरकार का मुस्लिम चेहरा बन कर उभरे। 2003 से 2004 तक उन्होंने कैबिनेट मंत्री के रूप में कपड़ा मंत्रालय संभाला।  2004 के आम चुनाव में हार के बाद शाहनवाज 2006 में उपचुनाव में भागलपुर सीट से जीतकर दोबारा लोकसभा पहुंचे। 2009 में भागलपुर से शाहनवाज को एक बार फिर जीत मिली लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्‍हें हार का सामना करना पड़ा। वह सिर्फ 4000 वोटों से चुनाव हार गए।

इसके बाद 2019 में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया गया, लेकिन वह पार्टी का चेहरा बने रहे। अब उन्‍हें बिहार की राजनीति में उतारकर भाजपा ने बड़ा दांव खेला है। इस फैसले की वजह से भाजपा पर मुस्लिम विरोधी होने का आरोप भी खारिज हो गया है। इसके साथ ही पार्टी ने बिहार में बड़ा चेहरा दे दिया है। ऐसा चेहरा जो राष्‍ट्रीय स्‍तर पर बड़ी बेबाकी और मजबूती से भाजपा का पक्ष रखता रहा है। जाहिर है, नीतीश सरकार के मंत्री के साथ-साथ बिहार में भाजपा संगठन की मजबूती के लिए भी शाहनवाज की बड़ी भूमिका होने वाली है।

By admin