मंगल ग्रह पर खुदाई करने वाले इनसाइट लैंडर मोल (InSight Lander Mole) को नासा ने मृत घोषित कर दिया हे। नासा इसके जरिए लाल ग्रह की गहराई का तापमान मापने की कोशिश कर रहा था, जिसमें वह नाकाम रहा है। ये डिवाइस इनसाइड लैंडर का हिस्‍सा था। ये करीब 16 इंच लंबा था जिसको मंगल ग्रह पर करीब 16 फीट की गहराई तक ड्रील करनी थी। लेकिन वो केवल दो फीट ही खुदाई कर सका। इसको निकालने के लिए डिवाइस में लगे हथौड़े से कई चोट की गईंं, लेकिन सारी कोशिशें विफल साबित हुईं। 14 जनवरी को टीम ने इसको ऐसे ही छोड़ दिया था।

जर्मनी की स्‍पेस एजेंसी के चीफ साइंटिस्‍ट तिलमैन स्‍पॉन ने कहा कि इसको पुनर्जिवित करने की कई सारी कोशिशें की गईं, लेकिन ये सभी कोशिशें असफल साबित हुईं। इससे जितना भी काम संभव हो सका उसका फायदा भविष्‍य में जरूर मिलेगा। वैज्ञानिकों को एक दिन मंगल पर जमे पानी की खोज के लिए यहां पर खुदाई की जरूरत महसूस होगी। इस पानी से भविष्‍य का फ्यूल तैयार किया जा सकेगा।

आपको बता दें कि इसका डिजाइन विभिन्‍न यानों के माध्‍यम से मिली मंगल ग्रह की जानकारी और यहां पर मौजूद मिट्टी पर आधारित था। फ्रांस के सिस्‍मोमीटर ने यहां पर करीब 500 मार्सक्‍यूएक को रिकॉर्ड किया है। वहीं लैंडर ने यहां के मौसम की जानकारी मुहैया करवाई। मंगलवर को यहां पर तापमान 17 डिग्री फारेनहाइट या माइनस 8 डिग्री सेल्सियस से माइनस 49 डिग्री सेल्सियस के बीच था। आपको बता दें कि वैज्ञानिकों को यहां पर सूक्ष्म जीवन के संकेत भी मिले हैं। हाल ही में लैंडर को दो वर्ष के लिए एक्‍सटेंशन दिया गया था।

आपको बता दें कि बीते वर्ष मई-जून में ही ये बात सामने आ गई थी कि इनसाइट लैंडर को वहां पर ड्रिल करने में मुश्किलें आ रही हैं। वैज्ञानिकों का मानना था कि मंगल ग्रह की सतह ज्‍यादा ठोस नहीं होगी, लेकिन उनकी ये बात गलत साबित हुई। यहां की सतह उनकी सोच से अधिक ठोस निकली जिस वजह से ये वहां पर खुदाई कर पाने में नाकाम रहा। इसके जरिए वैज्ञानिक मंगल ग्रह के क्रस्‍ट मेंटल कोर का अध्‍ययन करना था। आपको बता दें कि ये यान मंगल ग्रह पर नवंबर 2018 में उतरा था।

गौरतलब है कि नासा ने चांद की सतह का अध्‍ययन करने के लिए भी इसी तरह का यान भेजा था। लेकिन किसी ग्रह पर इस तरह की खोज करने का नासा का ये पहला अनुभव था। नासा ने इनसाइट को एक टाइम मशीन की तरह बताया था। इसका काम लाल ग्रह पर आने वाले भूकंपों का पता लगाना और मापना था। इसकी लॉन्चिंग से पहले नासा के ब्रूस बैनर्ट ने कहा था कि इसके जरिए करोड़ों वर्ष पहले बने मंगल ग्रह के शुरुआती चरणों के बारे में कई रोचक जानकारियां मिल सकेंगी।

ये एकइत्‍तफाक ही है कि पिछले वर्ष 15 फरवरी को ही नासा ने ऑपरचुनिटी को मृत घोषित किया था। जून 2019 में मंगल पर आई तेज धूल भरी आंधी के बाद नासा का संपर्क इस टूट गया था। इसके बाद नासा के एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर थॉमस जुरबुशेन ने ऑपरचुनिटी मिशन के पूरा होने की घोषणा की थी। उन्‍होंने इस दौरान कहा था कि ये नासा की पूरी टीम के लिए काफी दुख का समय है। इस यान को नासा की टीम ऑपी कहती थी।

ऑपरचुनिटी के खत्‍म होने पर अमेरिका के पूर्व राष्‍ट्रपति बराक ओबामा ने भी दुख व्‍यक्‍त किया था। उन्‍होंने एक ट्वीट में कहा था कि दुखी न हों इसका समय पूरा हो चुका था। इसके जरिए हमें मंगल के बारे में काफी कुछ जानने का मौका मिला। ऑपरचुनिटी के जरिए वैज्ञानिकों को मंगल पर करीब 45 किमी से अधिक क्षेत्र की जानकारी हासिल हुई। इसने मंगल ग्रह की 2,17,594 तस्वीरें भेजी थीं। इस यान का आधा समय इस ग्रह पर घूमते हुए बीता था। कई बार ये रेत और चट्टानों के बीच फंसा और निकला। इसने ही मंगल ग्रह पर कभी तरल रूप में पानी होने की पुष्टि की थी।

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