कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण की पहचान और इसके इलाज के लिए दुनियाभर के विज्ञानी अनुसंधान में लगे हुए हैं। इसकी कड़ी में भारतीय मूल के शोधकर्ताओं सहित एक अनुसंधान टीम ने उन्नत नैनो मैटेरियल आधारित एक बायोसेंसिंग प्लेटफॉर्म की पहचान की है। दावा है कि यह एक सेकंड के भीतर सार्स-सीवीओ-2 वायरस के लिए विशिष्ट एंटीबॉडी का पता लगा सकता है। इसी वायरस के कारण कोविड-19 फैलता है।

जर्नल एडवांस्ड मैटेरियल में प्रकाशित एक पेपर के मुताबिक, परीक्षण के अलावा यह प्लटेफॉर्म नए टीकों के लिए मरीजों में इम्यूनोलॉजिकल रिस्पांस (प्रतिरक्षाविज्ञानी प्रतिक्रिया) का सटीक निर्धारण करने में भी मदद कर सकता है। अमेरिका की कार्नेगी मेलन यूनिवíसटी के एसोसिएट प्रोफेसर और इस अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता राहुल पनाट ने कहा, ‘हमने नैनोपाíटकल 3 डी प्रिंटिंग जैसे उपकरण और नवीनतम मैटेरियल का इस्तेमाल करते हुए एक डिवाइस बनाई है, जो कोविड-19 एंटीबॉडी का तेजी से पता लगाती है।’

उन्होंने कहा कि यह यह डिवाइस सिर्फ खून की एक छोटी बूंद (5 माइक्रोलीटर) में वायरस की दो एंटीबॉडी- स्पाइक एस1 प्रोटीन और रिसेप्टर-बाइंडिंग डोमेन (आरबीडी) की मौजूदगी का पता लगा सकती है। इसका इस्तेमाल भी आसान है और नतीजे सीधे स्मार्टफोन पर मिल जाते हैं।

पनाट ने कहा कि रक्त में एंटीबॉडी की सांद्रता (मिलावट) बहुत कम हो सकती है। एक पीकोमोलर यानी 0.15 नैनोग्राम प्रति मिलिलीटर से नीचे तक इसका पता लगाया जा सकता है। इसके लिए हाथ में पकड़े जाने वाली माइक्रोफ्ल्यूडिक डिवाइस मददगार सिद्ध हो सकती है, जो इलेक्ट्रोकेमिकल रिएक्शन के जरिये जांच के परिणाम को स्मार्टफोन के इंटरफेस में तुरंत भेजता है।

शोधकर्ताओं के अनुसार, एरोसोल जेट 3डी प्रिंटिंग नामक एक एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी टेस्टिंग प्लेटफॉर्म की दक्षता और इसकी सटीकता के लिए जिम्मेदार है। इसमें छोटे, सस्ते सोने के माइक्रोपिलर इलेक्ट्रोड को एयरोसोल ड्रॉप्स (बूंदों) का उपयोग करके नैनोस्केल में डाला जाता है और विद्युत रासायनिक प्रतिक्रिया के जरिये इलेक्ट्रोड पर चिपके हुए वायरस के एंटीजन की पहचान की जाती है।

संक्रमण से बचाने में डिवाइस फायदेमंद हो सकती है

राहुल पनाट ने कहा, ‘नई डिवाइस के जरिये जांच में गलती होने की आशंका बेहद कम रहती है। इसलिए कोरोना काल में संक्रमण से बचाने में यह डिवाइस फायदेमंद हो सकती है। यह डिवाइस वर्तमान में बेहद प्रासंगिक है क्योंकि हमारी तकनीक टीकाकरण के लिए प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ा सकती है।’

मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की है जरूरत

शोधकर्ताओं ने कहा कि दुनियाभर के लोग कोरोना का प्रकोप झेल रहे हैं। वायरस के दो नए स्ट्रेन सामने आने के बाद विज्ञानियों की चिंता भी बढ़ गई है। ऐसे में सतर्कता बरतनी बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि अब जब टीकाकरण अभियान शुरू हो गया है तो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का मजबूत होना भी आवश्यकहै। इसके लिए हमारी तकनीक मददगार सिद्ध होगी।