कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के बाद दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम एशिया के उप-भाग में भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे अधिक लचीली साबित हो सकती है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। यूएन की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत कोरोना वायरस महामारी के बाद कम लेकिन सकारात्मक आर्थिक वृद्धि और बड़े बाजार के कारण निवेशकों के लिए आकर्षक स्थान बना रहेगा।

भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में यह नजरिया एशिया और प्रशांत के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (UNESCAP) द्वारा जारी ‘एशिया और प्रशांत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के रुझान और परिदृश्य 2020/2021’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में बताया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2019 में दक्षिण और दक्षिण पश्चिम एशिया में एफडीआई (FDI) प्रवाह की आवक दो फीसद कम हुई है और यह साल 2018 के 67 अरब डॉलर की तुलना में साल 2019 में 66 अरब डॉलर रही।

रिपोर्ट में कहा गया कि इस दौरान भारत में एफडीआई इनफ्लो सबसे अधिक रहा और इस उप-क्षेत्र के कुल एफडीआई में भारत की हिस्सेदारी 77 फीसद रही। इस दौरान भारत में एफडीआई के माध्यम से 51 अरब डॉलर आए। यह इससे पिछले साल की तुलना में 20 फीसद अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया कि इनमें से अधिकतर एफडीआई प्रवाह सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) और निर्माण क्षेत्र में आया है।

सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी क्षेत्र के बारे में रिपोर्ट में बताया गया कि बहुराष्ट्रीय उद्यम सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं से संपन्न स्थानीय डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र में निवेश कर रहे हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि ई-कॉमर्स क्षेत्र में अच्छी मात्रा में निवेश हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लंबी अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे अधिक लचीली हो सकती है। महामारी के बाद ग्रोथ रेट चाहे कम रहे, लेकिन बड़े बाजार की मांग के चलते भारत में निवेश आता रहेगा।

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