रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के तख्तापलट की साजिश नाकाम होने के बाद मास्को प्रशासन ने देश में ‘गृहयुद्ध रोकने’ के लिए रूसी सेना और कानून लागू करने वाली सभी एजेंसियों की सराहना की है. वहीं दूसरी ओर बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने पुष्टि की है कि वैग्नर ग्रुप के प्रमुख रूस में विफल विद्रोह के बाद बेलारूस पहुंच गए हैं. लेकिन पिछले कुछ दिन से रूस में जो कुछ चल रहा है उसने भारत के पड़ोसी चीन के राष्ट्रपति के मन में तख्तापलट का डर घर कर गया है.

पुतिन के हाल से सहम गए जिनपिंग

‘द सन’ में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक चीन में अब सैन्य अफसरों के लिए नया कोड ऑफ कंडक्ट लागू किया गया है. इनमें सेवारत अधिकारियों के साथ ही रिटायर्ड सैन्य अफ़सरों को भी शामिल किया गया है. इस कोड ऑफ कंडक्ट के लागू होने के बाद सेना के सभी बड़े अधिकारियों की सोशल लाइफ पर भी अब जिनपिंग का कंट्रोल होगा.

हालात पर अमेरिकी की पैनी नजर

रूस की प्राइवेट आर्मी वैगनर के भाड़े के सैनिक मास्को से बस 120 मील दूर थे. तख्तापलट की संभावना के बीच मुश्किल घड़ी में पुतिन ने अपना जासूसी एजेंट वाला दिमाग दौड़ाते हुए ऐसा रणनीतिक कौशल अपनाया जिसका असर फौरन देखने को मिला. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पुतिन ने कैरट एंड स्टिक वाली ट्रिक अपनाते हुए प्रिगोझिन के साथ समझौता कर लिया तो वैगनर के हथियारबंद लड़ाके अपने ठिकानों पर लौट गए. इस तरह पुतिन ने तो अपनी कुर्सी बचा ली लेकिन सवाल ये है कि अगर चीन में ऐसा कुछ हुआ तो जिनपिंग का क्या हाल होगा?

दरअसल सोवियत संघ के पतन के बाद रूस की सत्ता में आए शाषकों को कई चुनौतियों से जूझना पड़ा है. फिलहाल तानाशाह जैसी छवि वाले पुतिन बड़ी चुनौती से निपट रहे हैं. इस बीच अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ के पूर्व चीन नीति सलाहकार माइल्स यू ने कहा, ‘वैगनर विद्रोह के बाद पुतिन के सहयोगी शी के लिए तख्तापलट का डर अब ‘बहुत वास्तविक’ होगा. रूस के विद्रोह का चीन पर बहुत तत्काल और मजबूत प्रभाव पड़ा है, जिससे 70 साल के शी जिनपिंग को सतर्क कर दिया है.