मध्यप्रदेश में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसको लेकर अभी से सूबे की सियासत गर्म होने लगी है। हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी महत्वाकांक्षी लाडली बहना योजना की शुरुआत की। वहीं, आज कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने जबलपुर से चुनावी अभियान का शंखनाद कर दिया। 

बताया जा रहा है कि कांग्रेस ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के लिए एक नई रणनीति तैयार की है। इसी के आधार पर पार्टी ने चुनावी मैदान में उतरना शुरू कर दिया है। आइए जानते हैं पार्टी की क्या रणनीति है? चुनाव जीतने के लिए कैसे रणनीति बनाई गई है? आइये जानते हैं…

प्रियंका गांधी ने मध्यप्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर से चुनाव का शंखनाद किया। उन्होंने ग्वारीघाट पर मां नर्मदा का पूजन करने के बाद शहीद स्मारक में जनसभा को संबोधित किया। प्रियंका ने इस दौरान भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने सरकारी कर्मचारियों से लेकर महिलाओं, युवाओं के बारे में खुलकर बोला।  

प्रियंका की रैली से तय हुई कांग्रेस की चुनावी रणनीति 

1. कांग्रेस का हिंदुत्व कार्ड दिखा:प्रियंका के स्वागत में 30 फीट की गदा लगाई गई थी। बजरंग बली से लेकर हर हर महादेव के नारे लग रहे थे। प्रियंका ने मां नर्मदा की पूजा और आरती की। इसके बाद उन्होंने अपने भाषण में कहा कि बहुत साल हो गए, केंद्र में नौ साल हो गए, एमपी में 18 साल हो गए। ये राजनीति आपकी जरूरतों को नकार रही है। इधर-उधर की बातें की जाती हैं। 

हम भारतीय हैं, हमारे लिए धर्म से बड़ा कुछ नहीं है। वो हमारे लिए सर्वोपरि है, लेकिन उसका मतलब ये नहीं है कि पब्लिक के जज्बातों को उभारकर ऐसा किया जाए। वो आपके जज्बातों पर आपको बार-बार उकसा रहे हैं। उस नेता को कभी एहसास नहीं होगा कि आपका काम नहीं करेगा तो सत्ता छोड़नी पड़ेगी। आपकी सड़कें ठीक नहीं हो रही हैं, नौजवानों को रोजगार नहीं मिल रहा है। आपको सबक सिखाना पड़ेगा। 18 साल में आपने सब कुछ देख लिया। अगर 18 साल में आपको पता नहीं चला कि वो आपका काम नहीं कर रहे हैं तो आपको कभी पता नहीं चलेगा। 

2. भ्रष्टाचार के लगाए आरोप: प्रियंका गांधी ने मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए। प्रियंका गांधी ने कहा कि व्यापम घोटाला, राशन घोटाला, शिक्षक घोटाला, पुलिसभर्ती घोटाला, खंनन घोटाला, कोरोना घोटाला, बिजली विभाग घोटाला, ईं टेंडर का घोटाला, टीवी सेट का घोटाला… कितने सारे घोटाले हैं, जो मोदी जी ने गालियों वाली जो लिस्ट गिनाई थी उससे लंबी इनके घोटालों की लिस्ट है। 

इन्होंने महाकाल कॉरिडोर को भी नहीं छोड़ा, नर्मदा मैया को नहीं छोड़ा। महाकाल मंदिर की मूर्तियों में भी पैसे खाए हैं। कहां जाकर रुकेंगे ये लोग। मैं आपसे पूछना चाहती हूं कि इन्हें संस्कारों की याद कब दिलाएंगे आप? 220 महीनों के कार्यकाल में 225 घोटाले किए हैं। लगभग हर महीने इस सरकार में घोटाला हो रहा है। 

3. रोजगार को लेकर युवाओं को साधने की कोशिश: रोजगार की बात का जिक्र करके प्रियंका ने शिवराज सरकार को घेरते हुए कहा कि पिछले चुनाव में हमारी सरकार बनी थी, लेकिन जोड़-तोड़ करके, पैसे लगा कर भाजपा के नेताओं ने हमारी सरकार तोड़ी और अपनी सरकार बना ली। 

सरकार बनाने के बाद कुछ अच्छा कर के दिखाते तो कुछ आपका फायदा होता। तीन साल में इन्होंने मात्र 21 सरकारी नौकरियां दी हैं। मैंने तीन बार ये आंकड़ा चेक कराया और तीन बार जवाब आया कि ये सही आंकड़ा है। अगर आप जागरुक नहीं होंगे और समझेंगे नहीं, तो ये जो रिश्वत राज चलाया है, जिसकी वजह से आपको छोटे से छोटे काम के लिए रिश्वत देनी होती है। इसे आप आज बंद नहीं करेंगे तो आपके भविष्य का क्या होगा। 

4. महंगाई के मुद्दे से आम घरों तक पहुंचने की कोशिश: प्रियंका गांधी ने महंगाई के मुद्दे को लेकर भी सरकार पर तंज कसा। कहा कि गैस सिलेंडर इतना महंगा है कि भरा नहीं पाते। आधी चीजें लोग खरीद नहीं पा रहे हैं। पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ गए है। 

5. इन वर्गों पर भी रहा फोकस: प्रियंका ने कई वर्गों को एकसाथ साधने की कोशिश की। एमएसपी के जरिए किसानों, आपराधिक घटनाओं के जरिए एससी-एसटी, दलित और आदिवासी, महिलाओं और बुजुर्गों का भी अपने भाषण में जिक्र किया। 

प्रियंका के भाषण के क्या सियासी मायने? 

इसे समझने के लिए हमने राजनीतिक विश्लेषक डॉ. रीतेश त्रिवेदी से बात की। उन्होंने कहा, ‘हिमाचल प्रदेश और फिर कर्नाटक में मिली जीत के बाद से कांग्रेस का उत्साह बढ़ा है। प्रियंका गांधी खुद अपने स्तर पर रणनीति बना रही हैं। वह भाजपा के मुद्दों से ही भाजपा को घेरने की कोशिश कर रहीं हैं।’

रीतेश आगे कहते हैं, ‘भाजपा हिंदुत्व के सहारे उत्तर भारत में मजबूत पकड़ बनाए हुए है। कांग्रेस ने भी उत्तर भारत में हिंदुत्व का कार्ड खेल दिया है। प्रियंका की रैली इसकी बानगी है। कमलनाथ, डीके शिवकुमार, भूपेश बघेल आौर अशोक गहलोत के जरिए वह इसे आगे बढ़ा रहीं हैं।’

रीतेश के मुताबिक, ‘हिंदुत्व के साथ-साथ कांग्रेस ने भ्रष्टाचार, जातिगत कार्ड, महंगाई और बेरोजगारी का मुद्दा भी जोरशोर से उठाया है। कर्नाटक में भाजपा को भ्रष्टाचार और जातिगत कार्ड से काफी नुकसान उठाना पड़ा था। इसके अलावा वह संविदा कर्मचारियों के स्थायित्व, पुरानी पेंशन के जरिए भी कांग्रेस के लिए एक नया वोटर ग्रुप तैयार कर रहीं हैं।’

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