क्‍या आप जानते हैं कि राष्‍ट्रपति चुनाव के नतीजों में देरी क्‍यों हो रही है। अमेरिका में चुनाव 3 नंवबर को हो चुके लेकिन तीन दिन बाद भी चुनावी परिणाम सामने नहीं आ सके। हालांकि इस चुनाव में जो बाइडन अपने प्रतिद्वंद्वी डोनाल्‍ड ट्रंप से काफी आगे चल रहे हैं।

अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव के तीन दिन बाद भी अंतिम नतीजे सामने नहीं आ सके हैं। हालांकि, डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्‍मीदवार जो बाइडन जीत के आंकड़े के काफी करीब हैं और उनकी जीत पक्‍की मानी जा रही है। बाइडन ने अपने प्रतिद्वंद्वी रिपब्‍लिकन पार्टी के उम्‍मीदवार डोनाल्‍ड ट्रंप को काफी पीछे छोड़ दिया है। बाइडन को अब तक 264 इलेक्टोरल वोट हासिल हो चुका है, वहीं रिपब्‍लिकन उम्‍मीदवार राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के खाते में 214 वोट हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर चुनाव परिणाम आने में विलंब क्‍यों हो रहा है। आइए जानते हैं चुनाव परिणाम में देरी के के संवैधानिक और तकनीकी पहलू क्‍या है।

इलेक्‍टोरल वोटों की गिनती के लिए राज्‍यों के अलग विधान

दरअसल, राष्‍ट्रपति चुनाव के दौरान संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका में इलेक्‍टोरल वोटों की गिनती के लिए राज्‍यों के अपने अलग-अलग विधान हैं। प्रत्‍येक राज्‍यों में मतगणना के लिए अलग-अलग तीथियां निर्धारित है। इस मामलों में राज्‍यों को छूट प्रदान की गई है। अमेरिका के कई राज्‍य मतदान के दिन ही चुनाण परिणाम घोषित कर देते हैं, जबकि कुछ राज्‍यों में वोटिंग के कुछ दिन बाद तक मतगणना का कार्य कर सकते हैं। नॉर्थ कैरोलिना, एरिजोना, जॉर्जिया, नेवादा और पेंसिलवानिया ऐसे राज्‍यों में शामिल हैं, जहां मतगणना का कार्य एक सप्‍ताह तक चल सकता है। यह संवैधानिक है। राज्यों के पास अनुपस्थित मतपत्र प्राप्त करने पर भी अलग-अलग समय सीमाएं हैं, विशेष रूप से सैन्य या विदेशी नागरिकों से आने वाले मतपत्रों के लिए।

मेल इन वोटिंग प्रक्रिया के चलते चुनाव परिणामों में हुई देरी

कोरोना महामारी के कारण इस बार का अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव ऐतिहासिक है। मेल इन वोटिंग के कारण अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव में रिकॉर्ड मतदान हुआ है। मेल इन वोटिंग के जरिए दस करोड़ से ज्‍यादा लोगों ने इस मतदान में हिस्‍सा लिया। इसके चलते भी मतगणना के कार्य में विलंब हुआ है, जिन राज्‍यों में मेल इन वोटिंग ज्‍यादा हुई है, वहां मतगणना के कार्य में देरी हो रही है। मेल इन वोटिंग की प्रक्रिया के कारण चुनाव परिणाम आने में विलंब हो रहा है। दरअसल, मेल इन वोटिंग से डाले गए मतपत्रों की बारीकी से जांच की जाती है। प्रत्‍येक मतों को मतदाता के पहचान पत्र से मिलान किया जाता है। इसके बाद यह मत वैध माना जाता है। यह प्रक्रिया काफी जटिल और चुनाव में देरी पैदा करती है।

By admin