Gujarat: पीएम मोदी बोले, आराम और प्रचार की चाह छोड़ राष्ट्रहित में निर्णय लें आइएएस

अहमदाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रशिक्षु आइएएस अधिकारियों को आराम, शोहरत और प्रचार का मोह छोड़कर अतिरिक्त कार्य करने के साथ राष्ट्रहित में निर्णय लेने की सलाह दी है। उन्होंने मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेस का मंत्र देते हुए अधिकारियों से अपनी अलग पहचान बनाने का भी सुझाव दिया। सरदार पटेल की 145 जयंती पर गुजरात के नर्मदा जिले में केवडि़या में श्रद्धांजलि समारोह के बाद प्रधानमंत्री प्रशिक्षु अधिकारियों को वीडियो कांफ्रेंसिंग से संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज देश जिस मोड़ पर खड़ा है वहां आप जैसे अधिकारियों का कार्य कम से कम शासन से ज्यादा से ज्यादा-ज्यादा परिणाम देने का है। यह आप को सुनिश्चित करना होगा कि आम जनता सशक्त हो और उसके जीवन में प्रशासन का हस्तक्षेप कम से कम हो।

उन्होंने कहा कि मेरा आग्रह है कि आइएएस अधिकारी जो भी निर्णय लें वह राष्ट्र हित में हों, देश की एकता और अखंडता को मजबूत करते हों और संविधान की मूल भावना को ध्यान में रखते हुए लिए गए हों। हो सकता है आपका अधिकार क्षेत्र छोटा हो लेकिन आप जो भी फैसला करें उसमें राष्ट्रीय दृष्टिकोण होना चाहिए। कोई सरकार सिर्फ नीतियों से नहीं चलती। जिन लोगों के लिए नीतियां बन रही हैं उन्हें भी इसमें शामिल करने की जरूरत है। इसके लिए जरूरी है कि अधिकारी गवर्नमेंट से गवर्नेस की ओर चलें।

उन्होंने कहा, आप अपने कैरियर में दो तरह के रास्ते पाएंगे। एक में नाम, शोहरत और आराम होगी तो दूसरे में संघर्ष, कठिनाई और समस्याएं होंगी। लेकिन मेरा तजुर्बा है कि जब आप सरल रास्ता चुनते हैं तभी वास्तविक कठिनाइयों से आपका पाला पड़ता है। देश की आजादी के 75वें साल में जो प्रशिक्षु अधिकारी अपना कैरियर शुरू करने जा रहे हैं उनके लिए अगले 25 साल बहुत महत्वपूर्ण होंगे। जब देश अपनी आजादी का 100वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा होगा तब आप एक महत्वपूर्ण मोड़ पर होंगे। उस समय के प्रशासनिक तंत्र में आप हिस्सा होंगे। अगले 25 साल आपको अहम जिम्मेदारी निभानी होगी। देश की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखने के साथ आपको गरीबों, किसानों, महिलाओं, नौजवानों के कल्याण पर ध्यान देना होगा ताकि वैश्विक स्तर पर भारत को उसका उचित स्थान मिले। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल प्रशासनिक अधिकारियों को ‘स्टील फ्रेम’ कहते थे। स्टील फ्रेम का काम सिर्फ सिस्टम को मजबूती देना ही नहीं है बल्कि यह भी बताना है कि वह बड़े संकट और कठिनाइयों में भी देश को आगे ले जा सकता है। राष्ट्र निर्माण और देश को आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य आसान नहीं हो सकता। लेकिन अगर आप चुनौतियों का सामना करते हुए लोगों का जीवन आसान बनाएंगे तब देश के लिए उसके परिणाम देखने के काबिल होंगे।