उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने सुझाव दिया है कि आवश्यक सेवाओं को सुव्यवस्थित किया जाना चाहिए और नागरिक घोषणापत्र (सिटीजन चार्टर) में स्पष्ट रूप से उस समय को निíदष्ट करना चाहिए, जिसके भीतर किसी भी सेवा का लाभ उठाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि सुशासन की अंतिम परीक्षा लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार है और आम आदमी के लिए बुनियादी सेवाएं प्राप्त करना एक संघर्ष नहीं होना चाहिए। भारत सरकार के पूर्व सचिव एम. रामचंद्रन की पुस्तक ‘ब्रिंगिंग गवर्नमेंट्स एंड पीपुल क्लोजर’ का विमोचन करते हुए वेंकैया ने उपरोक्त टिप्पणी की। उनका कहना था कि सरकारी कार्यालयों में लोगों की अपेक्षाओं को आसान, पारदर्शी, परेशानी रहित प्रणालियों और प्रक्रियाओं के जरिये पूरा किया जाए।

सेवा प्रदान करने में भ्रष्टाचार को एक प्रमुख कारक बताते हुए वेंकैया ने कहा कि सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार को समाप्त करना केवल प्रक्रियाओं की सुगमता और जनता के प्रति अधिक जवाबदेही के माध्यम से संभव है।उपराष्ट्रपति ने नागरिकों को राष्ट्रीय विकास में सक्रिय भागीदार बनाने का भी सुझाव दिया। उन्होंने स्वच्छ भारत जैसे कार्यक्रमों और कोविड-19 से निपटने में लोगों की भागीदारी के महत्व को रेखांकित किया। नायडू ने सेवाओं की सुविधा को बेहतर बनाने के लिए अधिक विश्वास आधारित शासन की आवश्यकता पर भी बल दिया।