Gujarat Politics: गुजरात में छह महानगर पालिका के लिए रविवार को हुए मतदान के साथ ही स्‍थानीय निकाय चुनाव का श्रीगणेश हो गया है। गत विधानसभा चुनाव में जिन युवा चेहरों की खूब चर्चा रही, इस बार उनका तेज फीका पड़ गया। मंगलवार को नतीजों के साथ ही आम आदमी पार्टी (आप) के गोपाल ईटालिया के प्रभाव की भी कसौटी हो जाएगी। गुजरात की छह महानगर पालिकाओं के लिए रविवार को मतदान हुआ। कोरोना के असर से मतदान का प्रतिशत 4564 रहा, जो कमोबेश गत मनपा चुनाव के बराबर ही है। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी के युवा चेहरे गोपाल ईटालिया ने सबका ध्‍यान खींचा, लेकिन परिणाम पर कितना असर पड़ता है। इसका मंगलवार को नतीजों के साथ ही पता चलेगा।

गुजरात में गत विधानसभा चुनाव में पाटीदार युवा नेता हार्दिक पटेल, ओबीसी नेता अल्‍पेश ठाकोर तथा दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने खूब ध्‍यान खींचा, लेकिन इस बार स्‍थानीय निकाय चुनाव में इनका तेज फीका पड़ गया। 2015 में पाटीदार आरक्षण आंदोलन, ओबीसी एकता तथा दलित आंदोलन की आंच से निकले हार्दिक, अल्‍पेश व जिग्‍नेश अब अलग-अलग मोर्चे पर खड़े हैं। हार्दिक जहां गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्‍यक्ष बन गए। वहीं, अल्‍पेश ठाकोर भाजपा के स्‍टार प्रचारक बनकर नेपथ्‍य में हैं। जिग्‍नेश मेवाणी ने कुछ हद तक प्रदेश तथा राष्‍ट्रीय स्‍तर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, लेकिन स्‍थानीय निकाय चुनाव में ना वे किसी के साथ नजर आ रहे हैं और ना ही विरोध में। इस चुनाव में किसी युवा नेता की चर्चा है तो वे हैं गुजरात के गृह राज्‍यमंत्री पर जूता फेंककर चर्चा में आए पाटीदार नेता गोपाल ईटालिया। अहमदाबाद व सूरत दोनों ही शहरों में आप ने जमीनी स्‍तर पर काम किया। रोड शो में जनसमर्थन भी खूब उमड़ा, लेकिन दिल्‍ली मॉडल को गुजरातियों के दिल में उतारने में कितने सफल हुए उसका पता मंगलवार को ही चल सकेगा। मंगलवार को चुनाव परिणाम आने वाले हैं।