बसंत पंचमी का पर्व हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। इस दौरान हरिद्वार और प्रयागराज में सुबह से ही श्रद्धालु घाट पर भारी मात्रा में डुबकी लगाने के लिए जुटे।

बसंत पंचमी के अवसर पर धर्मनगरी हरिद्वार में श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया। इस दौरान सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम किए गए हैं। ऐसी मान्यता है कि आज के दिन ही मां सरस्वती का जन्म हुआ था।

इसलिए बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा का विधान है। कहते हैं कि बसंत पंचमी के दिन पूजा-अर्चना करने से वैवाहिक जीवन खुशहाल होता है। इस साल बसंत पंचमी के दिन चतुष्ग्रही योग बन रहा है।

इस दिन बुध, गुरु, शुक्र व शनि चार ग्रह शनि की राशि मकर में चतुष्ग्रही योग बना रहे हैं। मंगल अपनी स्वराशि मेष में विराजमान रहेंगे। प्रयागराज में भी बसंत पंचमी के मौके पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। घाटों पर हजारों श्रद्धालुओं ने स्नान किया। बसंत पंचमी के दिन इस दो खास संयोग बन रहे हैं।

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस दिन रवि योग और अमृत सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। बसंत पंचमी के पूरे दिन रवि योग रहेगा। जिसके कारण इस दिन का महत्व और बढ़ रहा है। 6 फरवरी को सुबह 03 बजकर 36 मिनट पर पंचमी तिथि लगी, जो कि अगले दिन यानी 17 फरवरी को सुबह 5 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में पंचमी तिथि 16 फरवरी को पूरे दिन रहेगी। इस दिन 11.30 से 12.30 के बीच अच्छा मुहूर्त है।

बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की प्रतिमा या मूर्ति को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें फिर रोली, चंदन, हल्दी, केसर, चंदन, पीले या सफेद रंग के पुष्प, पीली मिठाई और अक्षत अर्पित करें।