जापान में शनिवार को आए तगड़े भूकंप के बाद रविवार को फि‍र तगड़े झटके महसूस किए गए हैं। जापान की मौसम विज्ञान एजेंसी के मुताबिक रविवार को आए भूकंप के ताजा झटके फुकुशिमा इलाके में ही दर्ज किए गए हैं।

जापान में शनिवार को आए तगड़े भूकंप के बाद रविवार को फि‍र तगड़े झटके महसूस किए गए हैं। जापान की मौसम विज्ञान एजेंसी के मुताबिक रविवार को आए भूकंप के ताजा झटके फुकुशिमा इलाके में ही दर्ज किए गए हैं। समाचार एजेंसी एएनआइ ने स्‍पुतनिक के हवाले से बताया है कि रविवार को आए इस भूकंप की तीव्रता रिक्‍टर स्‍केल पर 5.2 मापी गई। भूकंप के ताजा झटके 04:13 बजे (स्‍थानीय समय 07:13 GMT) महसूस किए गए। भूकंप के बाद सुनामी का कोई खतरा नहीं है।

जापान की मौसम विज्ञान एजेंसी (Japan Meteorological Agency) के मुताबिक ताजा भूकंप का केंद्र धरती के नीचे 50 किलोमीटर की गहराई में था। फुकुशिमा और मियागी प्रांतों के अन्‍य हिस्‍सों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। मालूम हो कि शनिवार रात को आए 7.1 तीव्रता के भूकंप से जापान के फुकुशिमा, मियागी समेत कई इलाकों में अफरातफरी मच गई थी। जापान के प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा ने रविवार को बताया कि फुकुशिमा प्रांत में आए भूकंप से फुकुशिमा परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है।

समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक शनिवार को आए भूकंप में 140 लोग घायल हुए हैं। भूकंप के झटके टोक्‍यो में भी महसूस किए गए। हालांकि भूकंप से अभी तक किसी के मरने की सूचना नहीं है। विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि अगले कुछ दिन तक भूकंप के और झटके आ सकते हैं। यही नहीं शक्तिशाली भूकंप भी आ सकता है। शनिवार को आए भूकंप का केंद्र सतह से 54 किलोमीटर की गहराई में था। समाचार एजेंसी रॉयटर ने सरकारी प्रवक्ता कात्सुनोबु काटो के हवाले से बताया था कि भूकंप के बाद लगभग 950,000 घरों की बिजली गुल हो गई थी।

शनिवार को जापान के समयानुसार भूकंप का तेज झटका रात 11.08 बजे लगा। उस समय देश के ज्यादातर लोग सो गए थे या सोने की तैयारी कर रहे थे। भूकंप उसी क्षेत्र में आया था जिनमें मार्च 2011 में सुनामी की त्रासदी आई थी। भूकंप से इमारतें हिलने लगीं जिससे डर कर लोग घरों से बाहर आ गए और सड़कों पर यातायात रुक गया। फुकुशिमा ही वह परमाणु बिजलीघर है जहां पर मार्च 2011 को आए भूकंप से भारी नुकसान हुआ था। इस भूकंप के चलते बड़ी क्षेत्र में परमाणु विकिरण फैल गया था। आपदा में 18 हजार से ज्‍यादा लोग मारे गए थे।

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