बंगले के रेनोवेशन पर अब माननीय नहीं कर सकेंगे मनमाना खर्च

सरकारी भवनों की मरम्मत और जीर्णोद्धार में चल रही मनमानी पर अब लगाम लगाई गई है। भवन निर्माण विभाग ने इस कार्य के लिए मानक तय करते हुए दरों का निर्धारण कर दिया है। अब तय दर और निश्चित अंतराल पर ही भवनों की मरम्मत या जीर्णोद्धार का कार्य किया जा सकेगा। भवन निर्माण विभाग ने इस संदर्भ में अधिसूचना प्रकाशित कर दी है।

दरअसल, बीते कुछ वर्षों में सरकारी भवनों के जीर्णोद्धार और मरम्मत के कार्य में विसंगति से जुड़े तमाम मामले सामने आ रहे थे। कुछ भवनों का मरम्मत का कार्य नियमित अंतराल या कभी भी कराया जा रहा था जबकि कईयों को जीर्ण-शीर्ष अवस्था में ही छोड़ दिया जा रहा था। एक ही श्रेणी के भवनाें की मरम्मत की लागत में भी बहुत अंतर आ रहा था।

जाहिर है, रसूख का इस्तेमाल जोरों पर था। ऐसे तमाम प्रकरण से सबक लेते हुए भवन निर्माण विभाग ने दरों व समय अंतराल का निर्धारण कर दिया है। राज्य में सरकारी भवनों की मरम्मत या जीर्णोद्धार का कार्य तीन श्रेणियों में किया जाता है। बता दें कि सामान्य मरम्मत या रखरखाव, वार्षिक मरम्मत या रखरखाव या विशेष मरम्मत या रखरखाव। तय मानक के अनुसार इसकी दरें तय कर दी गई हैं।

सामान्य मरम्मत या जीर्णोद्धार के लिए टाइप ए से एफ की श्रेणी को 75 हजार से पांच लाख के दायरे में रखा गया है। वहीं, इसी श्रेणी के भवनाें की वार्षिक मरम्मत या जीर्णोद्धार को 1.5 लाख से आठ लाख की सीमा में। स्पेशल रखरखाव के इन्हीं भवनों की मरम्मत में तीन लाख से तीस लाख के बीच व्यय किया जा सकेगा। मंत्री, नेता प्रतिपक्ष, मुख्य सचिव और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के आवास की मरम्मत या जीर्णोद्धार की दर भी तय की गई है।

सामान्य मरम्मत 10 लाख, वार्षिक 15 लाख और स्पेशल मरम्मत या जीर्णोद्धार 35 लाख में होगा। भवन निर्माण विभाग की ओर से यह भी स्पष्ट किया गया है कि सामान्य मरम्मत का कार्य आवश्यकता अनुसार कराया जा सकेगा। वहीं, वार्षिक मरम्मत या जीर्णोद्धार एक वर्ष के अंतराल पर ही कर सकते हैं जबकि स्पेशल रिपेयर तीन साल में एक बार करा सकते हैं।