यह महामारी भी चीन से आई? कैसी विडंबनापूर्ण स्थिति है कि जिस चीन पर पूरी दुनिया में कोरोना वायरस पहुंचाने की तोहमत है, लोन एप्स के गोरखधंधे की जुड़ती कड़ियां इस महामारी के पीछे भी चीनी वारदात का इशारा कर रही हैं। दावा किया गया है कि ऐसे तकरीबन 50 लोन एप्स चाइनीज हैं, जिन्होंने ऐसे धंधे की शुरुआत पहले-पहल चीन में ही की थी।
अब वे कंपनियां अपने पांव पसार रही हैं और इधर उनका इरादा अपने पड़ोसी मुल्क भारत में अपना नेटवर्क फैलाने का है। इसमें चीनी हथकंडे की आशंका को एक आधार हाल में तब मिला, जब लोन एप फ्रॉड मामले में तेलंगाना की हैदराबाद पुलिस ने कुछ दिन पहले एक चीनी नागरिक को स्वदेश भागने से पहले दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया है। जांच-पड़ताल में पता चला है कि झू वेई नामक चीनी नागरिक करोड़ों की हेराफेरी वाले इस नेटवर्क में शामिल रहा है। हैदराबाद पुलिस के अनुसार ऐसे करीब 21 हजार करोड़ रुपये के लेन-देन हुए हैं, जिनमें चीन की चार कंपनियों को 30 लोन एप संचालित करते हुए पाया गया है।
भारत में इन कंपनियों के दफ्तर गुरुग्राम और हैदराबाद में बताए जा रहे हैं और दावा है कि इनका पूरा गोरखधंधा जकार्ता से संचालित हो रहा है। अगर पूछा जाए कि आखिर लोगों को इतनी कम राशि के कर्ज की जरूरत क्यों पड़ती है, तो इसके दो मुख्य जवाब हैं। एक तो यह है कि देश की 45 फीसद आबादी की आमदनी दस हजार रुपये मासिक से कम है, ऐसे में अगर किसी महीने आय में कुछ ऊंच-नीच हो जाए या बीमारी आदि में अचानक खर्च बढ़ जाए तो रिश्तेदारों-पड़ोसियों के आगे हाथ फैलाने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचता। इधर कोरोना संकट के कारण रिश्तेदार व पड़ोसी भी अपनी कमाई सिकुड़ने से मदद करने की हैसियत में नहीं रहे और उन्होंने हाथ खींच लिए, तो बिना ज्यादा जांच किए लोन देने वाले एप्स की मांग बढ़ गई।
वैसे तो इस संदर्भ में कुछ कार्रवाइयां भी हुई हैं, जैसे गूगल ने अगस्त 2019 में सभी लोन एप्स को अपने प्ले स्टोर से हटाने का एलान किया था, हालांकि उसने अभी तक ऐसा किया नहीं है। इसी तरह भारतीय रिजर्व बैंक ने सभी तरह के डिजिटल मनी लेंडिग एप्स को लेकर ग्राहकों को सचेत रहने को कहा है। इधर एनबीएफसी ने भी अपने डिजिटल लेंडिंग एप्स को निलंबित कर दिया है।
यह जानकारी भी प्रकाश में आई है कि जुलाई, 2020 में भारत सरकार ने इंडियन साइबर क्राइम कोऑíडनेशन सेंटर से मिली एक रिपोर्ट के आधार पर जिन 59 मोबाइल एप्स को बंद किया था, उनमें से कुछ ऐसे ही लोन एप थे। लेकिन इन सारी कार्रवाइयों के बीच यह सवाल तब भी अनुत्तरित रह जाता है कि सारे एक्शन की बात तमाम हादसे हो चुकने के बाद ही क्यों होती है।