सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस मदन बी. लोकुर ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के धर्मातरण विरोधी नए कानून की आलोचना करते हुए कहा कि यह टिक नहीं सकेगा क्योंकि इसमें कानूनी एवं संवैधानिक दृष्टिकोण से कई खामियां हैं।

दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश दिवंगत राजिंदर सच्चर की किताब के लांच के अवसर पर लोकुर ने कहा कि ऐसी आपातस्थिति नहीं थी कि जब विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा था तो धर्मातरण विरोधी अध्यादेश जारी किया गया। उन्होंने कहा कि जजों को राजनीति में नहीं पड़ना चाहिए और उन्हें सिर्फ संविधान देखना चाहिए और देखना चाहिए कि यह वैध है अथवा नहीं।

लोकुर ने कहा, ‘संविधान कहता है कि अगर तत्काल कार्रवाई की जरूरत है तो अध्यादेश पारित किया जा सकता है। तत्काल कार्रवाई की क्या जरूरत है जब विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा है? कतई नहीं.. किसी भी तरह यह अध्यादेश टिक नहीं सकता।’ उन्होंने कहा कि जजों को लोगों के हितों का ध्यान रखना चाहिए और संविधान हर चीज से ऊपर है। लेकिन सामाजिक न्याय का विचार ठंडे बस्ते में चला गया है। इस दिशा में सुप्रीम कोर्ट उतना काम नहीं कर रहा है जितना उसे करना चाहिए।