हमें तो अपनी सरकार पर कोई खतरा नजर नहीं आ रहाः उद्धव ठाकरे

उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के ताकतवर ठाकरे परिवार के पहले सदस्य हैं, जो सत्ता के फ्रंट फुट पर खुद खेलने उतरे हैं। यानी मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। वह भी जोड़तोड़ की सरकार के मुख्यमंत्री की। मजबूत विपक्षी दल भाजपा उनकी सरकार के दिन गिन रहा है। कभी कोई दो-तीन महीने में सरकार गिर जाने की बात कहता है, तो कोई कांग्रेस-राकांपा-शिवसेना को मिलाकर बनी महाविकास आघाड़ी (एमवीए) के आपसी अंतर्विरोधों से सरकार गिरने की बात करता है। लेकिन विपक्ष की इन्हीं कामनाओं के बीच उद्धव सरकार शनिवार को अपने एक वर्ष पूरे करने जा रही है। इस अवसर पर दैनिक जागरण से बात करते हुए उद्धव ठाकरे न सिर्फ अपनी सरकार की मजबूती को लेकर आश्वस्त दिखे, बल्कि विपक्ष को यह कहकर घुड़की भी दे दी कि कुछ लोगों के दिमाग में विकार आ गया है। जरूरत पड़ने पर इसका उपचार किया जाएगा।

शिवसेना के अध्यक्ष व महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे कहते हैं कि उन्हें अपनी सरकार पर कोई खतरा नजर नहीं आता। हम तीनों दलों की सरकार पूरे सामंजस्य के साथ अच्छी चल रही है। जनता भी हमारे साथ है। उसका आशीर्वाद हमारे साथ है। इसलिए कोई सरकार में तोड़फोड़ करना भी चाहे तो किसी की जाने की हिम्मत नहीं पड़ेगी। विपक्ष अक्सर कहता है कि ये सरकार अपने अंतर्विरोधों से गिर जाएगी। क्या तीन दलों की सरकार चलाते हुए आपको कभी कठिनाई का अहसास होता है? इसका जवाब देते हुए उद्धव कहते हैं कि राकांपा और कांग्रेस कभी हमारे विरोधी दल हुआ करते थे। लेकिन अब जब भी मंत्रिमंडल की बैठक होती है, तो सबका अपनत्व भरा व्यवहार मुझे मिलता है। पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस के अशोक चह्वाण हों, या राकांपा के अजीत पवार। राजनीति में सबसे लंबा अनुभव रखने वाले शरद पवार, हर मसले पर सभी कहते हैं कि अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री का होगा।

उद्धव कहते हैं कि जब यह सरकार बनाने के लिए कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना साथ आ रही थीं, तो कुछ लोगों को लग रहा था कि ये तीनों पार्टियां एक साथ आएंगी ही नहीं। कुछ लोगों को (भाजपा का नाम लेने से बचते हुए) लगता था कि शिवसेना हमारे पीछे-पीछे भागती चली आएगी। लेकिन उनका अनुमान गलत साबित हुआ। इसमें कांग्रेस पार्टी की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। राष्ट्रवादी की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। सोनिया जी और शरद पवार जी की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। इन दोनों ने राजनीतिक साहस और विश्वास दिखाया।

कुछ सप्ताह पहले राज्य में मंदिरों को खोले जाने की मांग पर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी व प्रदेश भाजपा के नेताओं द्वारा शिवसेना के हिंदुत्व पर सवाल उठाया गया था। यह मुद्दा छेड़ने पर उद्धव कहते हैं कि मैं शिवसेना प्रमुख बाला साहब ठाकरे व अपने दादा जी के हिंदुत्व को मानता हूं। शिवसेना प्रमुख कहते थे कि मुझे मंदिर में घंटा बजाने वाला हिंदुत्व नहीं चाहिए। मुझे आतंकियों को खदेड़ने वाला हिंदुत्व चाहिए। और ऐसा उन्होंने 1992-93 में करके दिखाया। जब विवादित ढांचा विध्वंस मामला गिराया गया, तो उसका भी श्रेय लेने की हिम्मत किसी में नहीं थी। वह हिम्मत भी शिवसेना प्रमुख ने दिखाई। उद्धव भाजपा पर सीधा प्रहार करते हुए कहते हैं कि पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद भी राम मंदिर बनाने की हिम्मत आप में नहीं थी। यह तो कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर बनना शुरू हो रहा है। इसलिए राम मंदिर का श्रेय भी किसी राजनीतिक दल को नहीं लेना चाहिए। हमारे लिए हिंदुत्व राजनीतिक जोड़तोड़ का माध्यम नहीं है। हिंदुत्व हमारी सांस है। हम उसे छोड़ नहीं सकते।

सिर्फ हिंदुत्व ही नहीं, कई और मुद्दों पर उद्धव सरकार एवं राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी में टकराव की स्थिति नजर आती रहती है। ऐसा ही एक मुद्दा राज्यपाल कोटे की 12 विधान परिषद सीटों का भी है। राज्य सरकार की तरफ से 12 नाम इन सीटों के लिए भेजे गए हैं। लेकिन राज्यपाल की तरफ से इन्हें मंजूरी नहीं मिली है। इस संबंध में पूछे जाने पर उद्धव मुस्करा कर कहते हैं कि राज्यपाल का एक मान होता है, एक होती है मर्जी। उनसे हमारे संबंध बहुत अच्छे हैं। मान का सम्मान होना चाहिए। लेकिन संविधान का पालन होना चाहिए, मर्जी का नहीं। राज्य में उद्धव सरकार आने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री फड़नवीस के समय में लिए गए कुछ निर्णयों पर या तो रोक लगा दी गई है, या उन्हें बदल दिया गया है।