अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को गोपनीय दस्तावेज से जुड़े आपराधिक मामले में मंगवाल को गिरफ्तार कर लिया गया। ट्रंप इस मामले में मियामी की अदालत में पेश होने पहुंचे थे। हालांकि, सुनवाई के बाद उन्हें बिना शर्त कोर्ट से बाहर जाने की अनुमति दे दी गई।

यह घटनाक्रम उस वक्त हुआ जब अमेरिका में आगामी राष्ट्रपति चुनाव की सरगर्मी बढ़ने लगी है। ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी से आते हैं और इसमें भी राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने की होड़ शुरू हो गई है। ऐसे में ट्रंपके राजनीतिक भविष्य से जुड़े कई सवाल खड़े होने लगे हैं। आइये जानते हैं कि ट्रंप की पेशी के दौरान कोर्ट में क्या हुआ? आरोपों पर ट्रंप ने क्या प्रतिक्रिया दी? अब उनके लिए आगे क्या है? क्या वह राष्ट्रपति चुनाव लड़ पाएंगे?

ट्रंप की पेशी के दौरान कोर्ट में क्या हुआ? 

दो महीने में दूसरी बार, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंपपर आपराधिक आरोप लगाए गए। इस बार मामला जुड़ा था उनके पद छोड़ने के बाद शीर्ष गुप्त दस्तावेजों के अवैध कब्जे से। इसी सिलसिले में सुनवाई का सामना करने के लिए ट्रंप दोपहर में मियामी पहुंचे और कोर्ट में सरेंडर कर दिया। इसके बाद उन्हें कोर्ट में ही गिरफ्तार कर लिया गया। सुनवाई के बाद उन्हें बिना शर्त कोर्ट से बाहर जाने की अनुमति भी दे दी गई। 

अदालत में ट्रंप ने कहा कि गोपनीय दस्तावेज के मामले में वह दोषी नहीं हैं। ट्रंप ने गोपनीय दस्तावेजों से कथित छेड़छाड़ से संबंधित 37 आरोपों में दोषी नहीं होने का दावा किया। सुनवाई के दौरान मजिस्ट्रेट जज जोनाथन गुडमैन ने कहा कि ट्रंप अपने सहयोगी वॉल्ट नॉटू के साथ मामले के बारे में बात नहीं कर सकते। न्यायाधीश ने अभियोजकों को संभावित गवाहों की एक सूची तैयार करने के लिए भी कहा, जिनके साथ डोनाल्ड ट्रंप मामले के संबंध में बातचीत नहीं कर सकते। वह इन गवाहों के साथ सिर्फ वकील के जरिए बातचीत कर सकते हैं। 

आरोपों पर ट्रंप ने क्या कहा?

सुनवाई के दौरान ट्रंप ने बार-बार किसी भी अवैध काम करने के आरोपों को नकारा। अदालत जाने से पहले, ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ पर लिखा था, ‘आज हमारे देश के इतिहास में सबसे दुखद दिनों में से एक है। हमारा देश पतन की ओर है!’

ट्रंप के लिए आगे क्या रास्ते? 

ट्रंप की दलील के बाद वकीलों के पास आरोपों की समीक्षा करने और आरोपों को खारिज करने की मांग सहित मामले के संबंध में प्रस्ताव बनाने का अवसर होगा। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि ट्रायल की तारीख कब होगी, लेकिन कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि फ्लोरिडा के दक्षिणी जिले में यह जल्द ही शुरू हो सकता है। जिले को ‘रॉकेट डॉकेट’ कोर्ट के रूप में जाना जाता है। बता दें कि कानूनी पेशेवरों द्वारा यह शब्द उन स्थानों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जहां बहुत जल्द ट्रायल शुरू होता है।

यहां के एक पूर्व संघीय अभियोजक वाल्टर नोरकिन कहते हैं, ‘आप एक अभियोग जारी होने के छह महीने के भीतर एक आपराधिक मामले को हल करने की उम्मीद कर सकते हैं।’ आगे नोरकिन कहते हैं, ‘फ्लोरिडा के दक्षिणी जिले में जज स्पीडी ट्रायल की समयसीमा का बहुत सख्ती से पालन करते हैं, जिसमें कुछ अपवादों को छोड़कर 70 दिनों के भीतर ट्रायल या सजा की आवश्यकता होती है।’

इस बीच, विशेष वकील जैक स्मिथ ने कहा कि उनका कार्यालय सार्वजनिक हित और अभियुक्तों के अधिकारों के अनुरूप एक जल्द ट्रायल के लिए दबाव डालेगा। उन्होंने कहा, ‘इस मामले में बचाव पक्ष को अदालत में दोषी साबित होने तक निर्दोष माना जाना चाहिए।’

क्या ट्रायल के दौरान ट्रंप प्रचार कर सकेंगे?

ट्रंप ने कहा है कि वह रिपब्लिकन पार्टी के लिए प्रचार करना जारी रखेंगे भले ही अदालती मामले और जांच जारी है। उन्होंने कई रैलियों, अभियान और बयानों में अपनी जांच के बारे में खुलकर बात की है। इसके अलावा वह प्रचार से धन भी जुटा रहे हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, संघीय जांच की समय सारिणी उनके प्रमुख अभियान कार्यक्रमों को प्रभावित कर सकती है। रिपब्लिकन पार्टी ने फिलहाल 23 अगस्त के लिए अपनी पहली अध्यक्षीय बहस निर्धारित की है। ट्रंप ने अभी संकेत नहीं दिया है कि क्या वह इस कार्यक्रम में शामिल होंगे।

2020 रष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप को लेकर जॉर्जिया में भी उनके खिलाफ जांच चल रही है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि ट्रंप के खिलाफ आरोप लगाए जा सकते हैं या नहीं। वहीं, मैनहट्टन में ट्रंप के मामले का ट्रायल मार्च 2024 में शुरू होगा।

क्या गिरफ्तारी के बाद ट्रंप राष्ट्रपति चुनाव लड़ पाएंगे?

यदि अदालत द्वारा ट्रंप को दोषी पाया जाता है, तो भी वह कानूनी रूप से राष्ट्रपति चुनाव लड़ सकेंगे। दरअसल अमेरिकी संविधान के लिए केवल यह आवश्यक है कि राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार अमेरिकी नागरिक हों जो कम से कम 35 वर्ष के हों और 14 वर्षों से देश में रह रहे हों। नियमों के मुताबिक, राष्ट्रपति के लिए दोषी अपराधी या यहां तक कि सलाखों के पीछे रहकर भी चुनाव लड़ने के लिए कोई कानूनी बाधा नहीं है।

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