रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी ने आपनी जान को खतरा बताया है। उन्होंने मुंबई पुलिस पर उन्हें पीटने का आरोप लगाया है। आत्महत्या के लिए उकसाने के दो साल पुराने मामले में अर्नब को पुलिस ने चार नवंबर को गिरफ्तार किया था। अर्नब ने आरोप लगाया था कि गिरफ्तारी के दौरान भी उन पर और उनके परिजनों पर पुलिस द्वारा हमला किया था। इसकी वजह से उनके बाएं हाथ पर छह इंच का घाव हुआ और उनकी रीढ़ की हड्डी में भी गंभीर चोट आई है।
वैसे अर्नब की मुसीबत कम होती दिखाई नहीं दे रही है। बांबे हाई कोर्ट से अर्नब गोस्वामी को शनिवार को भी जमानत नहीं मिल सकी। सभी पक्षों को सुनने के बाद बांबे हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। सुनवाई कर रही पीठ ने कहा कि वह उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से विचार-विमर्श के बाद जल्द फैसला सुनाएगी। उच्च न्यायालय का कहना है कि इस बीच सभी पक्ष सत्र न्यायालय में जाने के लिए स्वतंत्र हैं।
पीठ ने शनिवार को सुनवाई शुरू होने के बाद भी सभी पक्षों को चेताया था कि यदि आज बहस पूरी नहीं हुई तो यह मामला दिवाली की छुट्टियों के कारण 23 नवंबर तक अटक सकता है। हालांकि, हाई कोर्ट में दिवाली की छुट्टियां सोमवार से शुरू हो रही हैं। लेकिन, चूंकि बहस पूरी हो चुकी है, इसलिए माना जा रहा है कि पीठ मुख्य न्यायाधीश से विमर्श करके दिवाली से पहले ही फैसला सुना देगी।
उधर, अलीबाग पुलिस ने सत्र न्यायालय में रायगढ़ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें अर्नब को 18 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। इस मामले में भी सोमवार को सुनवाई होनी है। अर्नब के वकील उच्च न्यायालय में लगातार आरोप लगाते आ रहे हैं कि राज्य सरकार अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रही है। वह अर्नब द्वारा सरकार की कमियां उजागर करने एवं उसके विरुद्ध सवाल खड़े करने के कारण उन्हें प्रताड़ित कर रही है।