डोनाल्ड ट्रंप डेमोक्रेट प्रत्याशी जो बाइडन को ‘स्लीपी जो’ बुलाते हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि 77 वर्षीय बुजुर्ग के हाथ में सत्ता सौंपना अमेरिका के लिए खतरनाक होगा। हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से जुड़े ताजा आंकड़ें देखें तो बाइडन ने ट्रंप को पीछे छोड़ दिया है। बाइडन के व्हाइट हाउस पहुंचने का रास्ता लगभग साफ हो गया है। अमेरिका का राष्ट्रपति बनना जो बाइडन का 50 वर्ष पुराना सपना था।
बाइडन 20 नवंबर 1942 को पेंसिलवेनिया के स्क्रैटन में पैदा हुए थे। यह वह समय था जब भारत में ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ आंदोलन चल रहा था। ‘प्रॉमिसेज टू कीप’ नाम के अपने संस्मरण में बाइडन ने लिखा है कि उन्हें राजनीति की शिक्षा अपने दादा से मिली थी। पिता की नौकरी के चलते दस वर्ष की अवस्था में उन्हें स्क्रैटन छोड़ना पड़ा। इसके बाद उन्होंने डेलावेयर को अपना दूसरा घर बनाया। यहां पर रहकर वह ना केवल एक राजनेता के तौर पर उभरे बल्कि नीति-निर्धारक मामलों के विशेषज्ञ भी बने। वह सीनेट के लिए छह बार निर्वाचित हुए।
बाइडन वर्ष 1972 में पहली बार यहां से 29 वर्ष की उम्र में अमेरिकी सीनेट के लिए निर्वाचित हुए। वह सीनेट के लिए निर्वाचित होने वाले पांचवें युवा सीनेटर थे। इसी साल उनके साथ एक भयानक हादसा भी हुआ। उनकी पत्नी नीलिया और नवजात बेटी नाओमी की सड़क हादसे में मौत हो गई जबकि बेटे ब्यू और हंटर भी इस हादसे में बुरी तरह घायल हो गए थे। यह हादसा तब हुआ जब उनकी पत्नी और बच्चे क्रिसमस ट्री लेने जा रहे थे। कुछ समय के लिए बाइडन में सभी तरह की महत्वाकांक्षाएं खत्म हो गई थीं। उन्होंने यह भी कहा था कि मैं उस वक्त ये समझ सकता था कि कैसे कोई आत्महत्या करने का फैसला करता होगा। हालांकि बाइडन एक बार फिर उठ खड़े हुए। दिन वह सीनेटर होते थे और रात में बच्चों का ख्याल रखने वाले पिता। अपने बच्चों को गुडनाइट किस करने के लिए प्रत्येक रात 150 किमी डेलावेयर जाते थे।
नहीं खत्म हुई मुश्किलें
पत्नी-बेटे की मौत के बाद भी बाइडन की मुश्किलें खत्म नहीं हुई। वर्ष 1988 में उन्हें दो बार जानलेवा दौरे पड़े और उनके चेहरे की मांसपेशियों में लकवा मार गया। वर्ष 2015 में उनके बेटे ब्यू की कैंसर से मौत हो गई। वहीं उनके दूसरे बेटे हंटर बाइडन ने ड्रग्स की आदत छोड़ने के लिए लंबा संघर्ष किया। कोकीन लेने के चलते हंटर को अमेरिकी नौसेना से निकाल दिया गया था। बाइडन के लंबे समय से दोस्त रहे टेड कुफमैन ने एक बार कहा था कि उनकी नजर में बाइडन सबसे बदकिस्मत व्यक्ति भी हैं और सबसे खुशकिस्मत भी हैं।
2016 के चुनाव की रेस से वापस ले लिया था नाम
बाइडन के बेटे की जब मौत हुई थी तब बतौर उपराष्ट्रपति उनका दूसरा कार्यकाल था। अपने बेटे की मौत से दुखी होने के चलते वर्ष 2015 में उन्होंने अगले वर्ष होने वाले राष्ट्रपति चुनाव की रेस से अपना नाम वापस ले लिया था। राष्ट्रपति पद तक पहुंचने के लिए उन्होंने सबसे पहले 1980 में कोशिश की, लेकिन 1984 में अपने दस्तावेजों को जमा नहीं किया था। इसके बाद उन्होंने 1988 में भी कोशिश की, लेकिन साहित्य चोरी को लेकर विवादों में घिर गए। हालांकि जब वर्ष 2008 में उन्हें ओबामा के कार्यकाल में मौका मिला तो सभी हैरान रह गए। वर्ष 2015 में जब वह राष्ट्रपति चुनाव की रेस से बाहर हुए तो किसी को उम्मीद नहीं थी कि वह चार वर्ष बाद वापसी करेंगे। यहां से वह सीनेट के लिए छह बार निर्वाचित हुए थे। बराक ओबामा के साथ वाशिंगटन डीसी की राह भी यही से निकली। वर्ष 1972 में वह 29 वर्ष की उम्र अमेरिकी सीनेट केलिए निर्वाचित हुए। वह सीनेट के लिए निर्वाचित होने वाले पांचवें युवा सीनेटर थे। लेकिन इसी साल उनके साथ एक भयानक हादसा भी हुआ।