UP Assembly By-Election 2020: उपचुनाव को भी प्रभावित करेगी सपा-बसपा की तनातनी, मुस्लिमों के रुझान पर निगाहें

राज्यसभा चुनाव के दौरान हुई राजनीतिक उठापटक का असर उत्तर प्रदेश में सात विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उपचुनाव पर पड़ना तय माना जा रहा है। खासतौर से समाजवादी पार्टी व बहुजन समाज पार्टी के बीच बढ़ी तनातनी से मुस्लिम वोटों का रुझान प्रभावित होता दिख रहा है। समाजवादी पार्टी के खेमा भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए मुसलमानों की लामबंदी अपने पक्ष में होने की आस लगाए है, वहीं प्रमुख विपक्षी दलों की तकरार को भाजपा अपने लिए बेहतर मान रही है।

समाजवादी पार्टी की निगाहें मुस्लिम वोटों का अपने पक्ष में धुव्रीकरण कराने पर लगी हैं। इसी कारण बसपा के बागी विधायकों से प्रचारित कराया गया कि मायावती के भाजपा प्रेम से आहत होकर ही उन्होंने यह कदम उठाया है। दलितों में उनके प्रति नाराजगी न बढ़े इसलिए बागियों ने मायावती के बजाए कोआर्डिनेटरों की कार्यशैली पर निशाना साधा।गत दिनों बसपा छोड़कर सपा में शामिल हुए अनुसूचित वर्ग के एक पूर्व विधायक का कहना है कि चाहे जो भी हो आम दलितों में मायावती के प्रति सम्मान कम नहीं हुआ। ऐसे में समाजवादी पार्टी को मुस्लिम वोटों का लाभ भले ही मिल जाए परंतु दलितों की सहानुभूति खत्म हो जाएगी। केवल नौगावां सादात, मल्हनी, घाटमपुर और टूंडला में ही सपाई कुछ लाभ ले सकते हैं। मुस्लिम बहुल बुलंदशहर सीट पर सपा प्रत्याशी न होने के कारण धुव्रीकरण बसपा के पक्ष में दिख रहा है।

लड़ाई में अपनी भलाई मान रही कांग्रेस : विधायकों की तोड़फोड़ से सपा व बसपा की बढ़ी लड़ाई को कांग्रेस अपने लिए अवसर मान रही है। प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू का कहना है कि केवल कांग्रेस ही जनहित के मुद्दों को लेकर सड़कों पर संघर्ष कर रही है। भाजपा को हराने के लिए वोटर कांग्रेस को ही विकल्प मान रहे है।

मुस्लिम एकजुटता की प्रतिक्रिया भी : भाजपा सभी सात सीटों पर जीत पाने के लिए पूरी ताकत लगाए है। मल्हनी को छोड़कर अन्य छह सीटों बांगरमऊ, घाटमपुर, नौगावां सादात, बुलंदशहर, टूंडला व देवरिया में भाजपा ही काबिज थी। भाजपाइयों का मानना है कि मुस्लिम एकजुटता की प्रतिक्रिया गत चुनावों की तरह उनके हित में होगी।