भोपाल। मध्य प्रदेश के 28 विधानसभा क्षेत्रों में हो रहे उपचुनाव में अब विकास, दलबदल और गद्दार जैसे मुद्दे फीके पड़ने लगे हैं। मध्य प्रदेश का राजनीतिक भविष्य और सियासत की दिशा तय करने वाले इस उपचुनाव का सारा दारोमदार अब सिर्फ ‘कमल नाथ बनाम शिवराज’ की जंग पर केंद्रित हो गया है। भाजपा की रणनीति भी शुरू से यही थी कि किसी तरह चुनाव ‘शिवराज मोड’ पर आ जाए, ताकि पार्टी को उनकी लोकप्रियता और सरल-सहज छवि का लाभ मिल सके। शिवराज और कमल नाथ की लड़ाई में सरकार बनाने और बिगाड़ने के मुख्य किरदार रहे राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अब किनारे पड़ते जा रहे हैं। ‘

भूखे-नंगे परिवार’ ने बदली चुनावी तस्वीर : कांग्रेस द्वारा वेटिंग इन सीएम कमल नाथ को देश में दूसरे नंबर का उद्योगपति बताने और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को भूखे-नंगे परिवार का बताने के बयान ने उपचुनाव की तस्वीर एक झटके में बदल दी है। अब कांग्रेस बैकफुट पर है और भाजपा आक्रामक हो गई है। कांग्रेस अपने नेता दिनेश गुर्जर के बयान से पल्ला झाड़ रही है, तो भाजपा ने तत्काल मौके का फायदा उठाकर शिवराज की ब्रांडिंग शुरू कर दी। उसने बता दिया कि शिवराज न केवल गरीब किसान परिवार से आए हैं, बल्कि गरीब कल्याण की जितनी योजनाएं शुरू कीं, वे कॉर्पोरेट की राजनीति करने वाले कमल नाथ को रास नहीं आई। कांग्रेस ने भाजपा को ऐसा मौका सुलभ कराया कि जो कांग्रेस अब तक शोर-शराबा कर गद्दार और दलबदलुओं का आरोप लगाकर लोगों के जेहन में बिकाऊ जैसे शब्द को बैठा रही थी, वहीं इस पर फंस गई। अब कांग्रेस भाजपा के हमले की काट नहीं ढूंढ पा रही है।

अब सिर्फ कारण बचे सिंधिया : भूखे-नंगे डायलॉग की एंट्री के बाद सभी सीटों पर चुनावी तस्वीर तो बदल ही रही है, खासतौर से उपचुनाव के अहम किरदार यानी कमल नाथ सरकार को सड़क पर लाने वाले सिंधिया की भूमिका भी अब उपचुनाव के केंद्र में नहीं बची है। सिंधिया उपचुनाव का कारण भले ही रहे हों, लेकिन अब वे कमल नाथ और शिवराज के बीच की जंग से बाहर होते नजर आ रहे हैं। ग्वालियर-चंबल की 16 सीटों में भी स्थितियां अब इन्हीं दो नेताओं पर केंद्रित होती जा रही हैं।

मंडल चुनाव से सक्रिय हुए भाजपा कार्यकर्ता : उपचुनाव में भाजपा ने जिस चक्रव्यूह की रचना की, उसमें पार्टी को सबसे ज्यादा फायदा मंडल सम्मेलन का मिल रहा है। भाजपा ने सारे बड़े नेताओं को मंडल स्तर पर कार्यकर्ताओं से संवाद के लिए भेजा, असर यह हुआ कि कार्यकर्ताओं का संकोच टूट गया। घर बैठे कार्यकर्ता भी काम पर लग गए। मध्य प्रदेश भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने बताया कि कांग्रेस के ही नेता अब स्वीकार कर रहे हैं कि कमल नाथ बड़े उद्योगपति हैं और वे शराब-खनन जैसे बड़े व्यापारी वर्ग से जुड़े हुए हैं। दूसरी ओर कांग्रेस का जो कहना है वह सच भी है कि शिवराज गरीबों, किसानों, भूखे-नंगे यानी वंचित वर्ग के नेता हैं। अब ये लड़ाई गरीब बनाम अमीर यानी शिवराज बनाम कमल नाथ की हो गई है।

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