कोरोनावायरस संक्रमण पिछले एक साल से लोगों को परेशान कर रहा है। इस वायरस का सबसे ज्यादा खतरा उन लोगों को है जो पहले से ही किसी गंभीर बीमारी के शिकार है। एक रिपोर्ट के मुताबिक गंभीर मानसिक बीमारियों जैसे सिज़ोफ्रेनिया और अवसादग्रस्त लोगों में नए कोरोनावायरस और COVID -19 से मरने का अधिक जोखिम है। इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए देश और दुनिया में वैक्सीन का निर्माण हो चुका है, लेकिन तो भी देश और दुनिया में इन मरीजों पर वैक्सीन के इस्तेमाल पर अभी तक जोर नहीं दिया गया है। ग्लोबल एलायंस ऑफ मेंटल इलनेस एडवोकेसी नेटवर्क्स,यूरोप के अध्यक्ष हिल्का क्रैककेन ने एक समाचार विज्ञप्ति में कहा कि समाज को जोखिम वाले समूहों को वैक्सीन के लिए प्राथमिकता देने की जरूरत है।

हिल्के ने बताया कि वैज्ञानिक प्रमाणों से यह जाहिर है कि लॉकडाउन में दिमागी बीमार लोगों को सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ा है, लेकिन इस बात की ओर बहुत कम देश ही ध्यान देते हैं। समाज में इन लोगों के प्रति रवैये में बदलाव की जरूरत है।

एक नए अध्ययन में, किर्ककेन और उनके सहयोगियों ने 20 यूरोपीय देशों में देखा कि कैसे COVID-19 से बचने के लिए जोखिम वाले समूहों को वैक्सीन लगवाने के लिए प्राथमिकता दी जा रही हैं। अध्ययन में यह पाया गया कि डेनमार्क, जर्मनी, नीदरलैंड और यूनाइटेड किंगडम में गंभीर मानसिक बीमारी के लोगों को उच्च जोखिम वाली चिकित्सा स्थिति के रूप में रखा गया है, इन लोगों को पहले वैक्सीन लगया जाएगा।

जर्नल लैनसेट साइकेटरी ट्रेस्टिड सॉर्स में यह अध्ययन पब्लिश किया गया है। अध्ययन के मुताबिक अमेरिका के कुछ राज्य, जैसे न्यू जर्सी और ओहियो में COVID-19 टीकाकरण रोलआउट के शुरुआती चरणों में गंभीर मानसिक बीमारी वाले मरीज शामिल हैं। हालांकि अध्ययन में किडनी, दिल के मरीज, मोटापा और टाइट-2 डाइबिटीज के मरीजों को भी कोविड-19 से जोखिम की श्रेणी में रखा गया है, लेकिन जिन मरीजों को दिमागी बीमारी है उन्हें इस वायरस से ज्यादा खतरा है। हाल के एक अध्ययन के मुताबिक जिन मरीजों को हाइपर एक्टिविटी डिसऑर्डर, बायोपोलर डिसऑर्डर, मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर और सिज़ोफ्रेनिया से पीड़ित है उन लोगों को नए कोरोनावायरस से ज्यादा खतरा है। शोधकर्ताओं के मुताबिक गंभीर मानसिक बीमारी वाले लोग असुरक्षित वातावरण में काम करते हैं ऐसे ही माहौल में रहते है जो वायरस संक्रमण के लिए जिम्मेदार है। गंभीर मानसिक बीमारी के मरीजों में COVID-19 से मरने का खतरा बढ़ जाता है।

Written By: Shahina Noor