पुडुचेरी में सोमवार  को राजनीतिक उथल-पुथल के बीच कांग्रेस सरकार के हाथ से सत्ता का अधिकार खत्म हो गया। मुख्यमंत्री नारायणसामी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा, ‘तीन नामित सदस्यों को विश्वास प्रस्ताव में कहीं भी मतदान का अधिकार नहीं है, मेरा संबोधन खत्म होने के बाद सरकार के व्हिप ने इस मुद्दे को उठाया लेकिन अध्यक्ष इससे सहमत नहीं हुए। ये लोकतंत्र की हत्या है, ऐसा देश में कहीं नहीं होता। पुडुचेरी के लोग इन्हें सबक सिखाएंगे।’ बता दें कि आज यहां विश्वास मत परीक्षण होना था, लेकिन मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने इसके पहले ही सदन से वॉकआउट कर दिया, जिसके बाद विधानसभा स्पीकर ने ऐलान किया कि नारायणसामी सरकार ने यहां बहुमत खो दिया है और उन्हें मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना होगा।

पुडुचेरी की नवनियुक्त उप राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन ने मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी को विधानसभा में बहुमत साबित करने का निर्देश दिया था। आज के पूरा घटनाक्रम की शुरुआत पुडुचेरी विधानसभा के एक दिन का विशेष सत्र शुरू होने के कुछ मिनटों बाद ही हो गई। मुख्यमंत्री नारायणसामी ने विश्वास मत का प्रस्ताव रखा, लेकिन प्रस्ताव को वोटिंग के लिए रखे जाने से पहले ही वो और उनके सत्ताधारी पक्ष के विधायक वॉक आउट कर गए। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष पी शिवकोलंधु ने घोषणा की कि वो विश्वास मत हार गए हैं। इसके बाद नारायणसामी राज भवन के लिए निकल गए। वोटिंग से पहले बोलते हुए मुख्यमंत्री नारायणसामी ने आरोप लगाया था कि ‘पूर्व उप राज्यपाल किरण बेदी और केंद्र सरकार ने विपक्ष के साथ मिलकर सरकार को गिराने की कोशिश की। हमारे विधायक एकजुट रहे तो हम बीते 5 साल निकालने में सफल रहे। हमने केंद्र सरकार से फंड की अपील की लेकिन वो नहीं देकर केंद्र ने पुडुचेरी के लोगों से धोखा दिया है।’

विधानसभा में मुख्यमंत्री ने आज कहा, ‘हम दो भाषाओं के सिस्टम का अनुसरण करते हैं लेकिन BJP जबरन हिंदी भाषा लागू करने की कोशिश कर रही है।’ उन्होंने यह भी कहा,  ‘हमने द्रमुक व स्वतंत्र विधायकों के सहयोग से सरकार का गठन किया। इसके बाद हमने  अनेकों चुनाव लड़ा। हमने सभी उपचुनावों में जीत हासिल की। यह स्पष्ट है कि पुडुचेरी की जनता हमपर भरोसा करती है।’   मुख्यमंत्री ने कहा, ‘विधायकों को पार्टी के प्रति विश्वसनीय होना चाहिए। जिन विधायकों ने इस्तीफा दिया है वो लोगों का सामना नहीं कर सकते क्योंकि उन्हें लोग मौका परस्त बोलेंगे।’

शक्ति परीक्षण से पहले रविवार को कांग्रेस और द्रमुक के एक-एक विधायकों के इस्तीफा देने के कारण सरकार पर संकट बढ़ गया है। अब सत्ता पक्ष के पास 12 विधायक हैं जबकि विपक्षी सदस्यों की संख्या 14 है। 33 सदस्यीय विधानसभा में सात स्थान रिक्त हैं।