उत्तराखंड : ब्रिटेन-फ्रांंस, अमेरिका समेत कई वैश्विक नेताओं ने जताई संवेदना

उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को ग्लेशियर टूटने से तबाही मच गई। इस हादसे में अब तक 8 शव बरामद हुए हैं। 150 से ज्यादा लोग लापता हैं। एनडीआर और सेना की टीम राहत और का काम में जुटी हुई है। उत्तराखंड में  आई इस प्राकृतिक आपदा के पीड़ितों के प्रति दुनियाभर के नेताओं ने गहरी संवेदना व्यक्त की है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने ट्वीट कर कहा कि उनका देश पीड़ितों के प्रति गहरी संवेदना जताते हुए भारत के साथ पूरी एकजुटता व्यक्त करता है। वहीं, अमेरिकी विदेश विभाग ने भी ट्वीट कर पीडि़तों के प्रति संवेदना जताई है। उसने ट्वीट में कहा, ‘भारत में ग्लेशियर टूटने और भूस्खलन से प्रभावित होने वालों के प्रति हमारी गहरी संवेदनाएं। हम दुख की इस घड़ी में मृतकों के स्वजनों और मित्रों के साथ हैं और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना करते हैं।’

दुनिया के कई नेताओं ने दी प्रतिक्रिया

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन, ऑस्ट्रेलिया के पीएम समेत कई अन्य लोग शामिल हैं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अपना संवेदना व्यक्त करते हुए ट्विटर पर लिखा- मेरी संवेदना भारत के लोगों और उत्तराखंड के बचावकर्मियों के साथ है क्योंकि वे ग्लेशियर गिरने से आई विनाशकारी बाढ़ का मुकाबला कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन, भारत के साथ एकजुटता के साथ खड़ा है और किसी भी समर्थन की पेशकश करने के लिए तैयार है।

ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने उत्तराखंड में बाढ़ पर अपनी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने ट्वीट कर लिखा- ऑस्ट्रेलिया इस मुश्किल समय में अपने सबसे करीबी दोस्तों में से एक(भारत) के साथ खड़ा है। इस ट्वीट में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तराखंड हादसे पर ट्वीट को भी रखा है।

संयुक्त राष्ट्र ने जताई संवेदना

वैश्विक नेताओं के अलावा संयुक्त राष्ट्र ने भी उत्तराखंड में आई तबाही पर अपनी संवेदना प्रकट की है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र महासचिव को उत्तराखंड में ग्लेशियर के फटने और उसके बाद आई बाढ़ से जानमाल के नुकसान और दर्जनों लापता होने का गहरा दुख है। वह पीड़ितों के परिवारों, लोगों और भारत सरकार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि संयुक्त राष्ट्र आवश्यकता पड़ने पर उत्तराखंड में चल रहे बचाव और सहायता प्रयासों में योगदान करने के लिए तैयार है।

भारत में जापान के राजदूत सतोशी सुजुकी ने भी हादसे में जानमाल के नुकसान पर गहरा दुख जताया है। पीडि़तों के प्रति गहरी संवेदना जताते हुए उन्होंने लापता लोगों के सकुशल मिलने की प्रार्थना भी की।

हादसे में अब तक 8 शव बरामद

इस हादसे में नंदादेवी बायोस्फियर क्षेत्र में आई इस आपदा से ऋषिगंगा पर करीब 13 मेगावाट का ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट और धौलीगंगा पर 520 मेगावाट का तपोवन-विष्णुगाड हाइड्रो प्रोजेक्ट बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। अचानक आए सैलाब से वहां काम कर रहे श्रमिकों व कार्मिकों समेत करीब 150 लोग फंस गए। दो सुरंगों में फंसे करीब 50 में से 16 श्रमिकों को बचाने में सफलता मिली है। अब तक आठ लोगों के शव मिले हैं। राहत एवं बचाव के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और सेना की टीमें सक्रियता से जुटी हैं।