स्थानीय निकाय चुनाव की घोषणाओं के साथ ही एक बार फिर प्रदेश में पाटीदार राजनीति उबाल पर है। पाटीदारों की दोनों प्रमुख संगठनों में समाज के नेताओं की उपेक्षा का आरोप लगाया है। गुजरात भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष सी आर पाटिल ने एक दिन पहले ही बयान दिया था कि 60  से अधिक की उम्र के नेताओं, नेताओं के रिश्तेदारों को आगामी चुनाव में टिकट नहीं मिलेगा। समाज भाजपा का 4 वोट बैंक है तथा भाजपा की नई रणनीति से उनके नेताओं के टिकट कटने की सबसे अधिक आशंका है। उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल को मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने से पाटीदार समाज में पहले से ही नाराजगी है।

पाटीदार समाज की उपेक्षा की जा रही

लेउवा पटेल समाज की कुलदेवी खोडल धाम, कागवड राजकोट के मुख्य ट्रस्टी नरेश पटेल ठीक है इससे पहले पाटीदार समाज की नेताओं की राजनीति में उपेक्षा का आरोप लगाया था। वे ऊंझा में कड़वा पाटीदार समाज की कुलदेवी मां उमिया धाम के दर्शन करने पहुंचे थे। पटेल ने कहा कि लंबे समय से गुजरात की राजनीति में सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक रूप से सबसे अधिक योगदान देने वाले पाटीदार समाज की उपेक्षा की जा रही है।

गुजरात के विकास का प्रमुख आधार

उनका कहना है कि गुजरात की कृषि एवं औद्योगिक उत्पादन में पाटीदार समाज में काफी योगदान किया लेकिन सरकार उनके योगदान की भी उपेक्षा कर रही है। उमिया धाम के चेयरमैन मनु जी भाई पटेल का कहना है कि पाटीदार समाज गुजरात के विकास का प्रमुख आधार है। पिछले स्थानीय निकाय एवं पंचायत चुनाव में पाटीदारों के आरक्षण आंदोलन के चलते भाजपा को भारी नुकसान उठाना पड़ा था।

टिकट नहीं देने की रणनीति से झटका

प्रदेश में सरकार व संगठन में लगातार पाटीदारों की उपेक्षा की जा रही है। 2015 के जिला पंचायत चुनाव में भाजपा को 31 में से महज सात जिला पंचायत में ही जीत मिली थी। गौरतलब है कि गुजरात में मुख्यमंत्री तथा भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष दोनों ही पद से पाटीदार समाज को महरूम रहना पड़ा है तथा अब भाजपा के 60 से अधिक उम्र के नेताओं को तथा नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट नहीं देने की रणनीति से भी पाटीदार समाज को झटका लग सकता है।