‘जगह खाली करो’ की नारेबाजी करते हुए सिंघु बॉर्डर पहुंचे कई गांवों के किसान

दिल्ली में ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा के बाद लोगों का आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर (सिंघु बॉर्डर) पर बृहस्पतिवार को बड़ी संख्या में ग्रामीण इकट्ठा हो गए हैं। लोगों की मांग है कि बॉर्डर को जल्द से जल्द आंदोलनकारी खाली कर दें। सिंघु बॉर्डर पर ‘खाली करो जगह’ की नारेबाजी हो रही है। आंदोलनकारियों के बीच पहुंचे स्थानीय लोग तिरंगा लिए हुए हैं और लगातार नारेबाजी कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि धरना दे रहे लोगों की वजह से उन्हें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

जागरण संवाददाता के अनुसार, सिंघु बॉर्डर पर पहुंचने वाले लोगों में बख्तावरपुर, बवाना, पल्ला, अलीपुर, दरियापुर और बाजिदपुर समेत कई गांवों के किसान हैं। ग्रामीणों ने धरना दे रहे तथाकथित किसानों को चेतावनी दी है कि अगर इस जगह (दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर) को खाली नहीं किया गया तो वे शुक्रवार को फिर से यहां हजारों की संख्या में आएंगे। किसानों ने कहा कि 26 जनवरी की घटना बर्दाश्त नहीं है। अभी तक इन लोगों को किसान समझ रहे थे लेकिन अब साफ हो गया है कि ये लोग देश के गद्दार हैं।

बताया जा रहा है कि सिंघु बॉर्डर खाली करने की मांग को लेकर पहुंचने वालों में स्थानीय दुकानदार भी शामिल हैं। इन लोगों ने तख्ती पर ‘सिंघु बॉर्डर खाली करो’ के नारे के साथ तिरंगा भी हाथ में लिए हुए हैं। बता दें कि सिंघु बॉर्डर पर किसानों का धरना करीब दो महीने से चल रहा है। इसकी वजह से दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर आवागमन प्रभावित है। जबकि दुकानदारों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है।

रेवाड़ी में ग्रामीणों ने किसानों के कब्जे से खाली करवाया हाइवे

इससे पहले रेवाड़ी में बुधवार को कई गांवों के लोग पंचायत करने के बाद आंदोलनकारियों के पास पहुंच गए। आंदोलनकारी व स्थानीय ग्रामीणों के आमने-सामने होने से एक बार जिला व पुलिस प्रशासन के हाथ-पांव भी फूल गए थे, मगर जल्दी ही पुलिस को राहत भरी खबर मिल गई। ग्रामीणों का पलड़ा भारी देखकर सड़क पर बैठे कथित किसानों ने खुद ही जाना शुरू कर दिया। ग्रामीणों के सख्ती के बाद हाइवे खाली हो गया।

26 जनवरी पर हिंसा से लोग नाराज

दरअसल दिल्ली की सीमा का चल रहा आंदोलन आम जनता के लिए पहले से परेशानी का सबब बना हुआ है। लेकिन 26 जनवरी को उपद्रवियों द्वारा दिल्ली में किए गए हमले के बाद किसानों के प्रति लोगों की सहानुभूति कम हो गई है। खास तौर पर हाईवे पर बैठे किसानों के खिलाफ लोग गुस्से का खुलकर इजहार कर रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि देश का कानून हाथ में लेने वाले उपद्रवियों की वजह से जनता को परेशानी उठानी पड़ रही है।