देश में चार साल में बढ़े चार हजार तेंदुए, जानें-किस राज्य में है कितनी संख्या

तेंदुए परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढाल लेते हैं। आवास और भोजन की आवश्यकताओं की अनुसार यह सघन खेती वाली जगहों और शहरी इलाके के पास भी पाए जाते हैं। वे विपुल प्रजनक हैं और करीब 10% वार्षिक दर के हिसाब से इनकी आबादी बढ़ जाती है।

भारत में चार साल में तेंदुए की संख्या में 60 फीसद की वृद्धि हुई है। जहां 2014 में देश में करीब 8,000 तेंदुए थे, वहीं, अब इनकी संख्या 12 हजार से अधिक हो गई है। पर्यावरण मंत्रालय की हालिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट का नाम है- स्टेट्स ऑफ लेपर्ड इन इंडिया, 2018।

पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया है कि तेंदुओं की संख्या का आकलन तस्वीरें लेने की प्रक्रिया के जरिए किया गया। उन्होंने कहा कि भारत में बाघों, एशियाई शेरों और अब तेंदुओं की संख्या में वृद्धि हो रही है। इससे साफ है कि यहां पर्यावरण, पारिस्थितिकी और जैव विविधता की रक्षा की जा रही है।

मध्य प्रदेश नंबर एक पर

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2018 में तेंदुओं की संख्या 12,852 थी। सबसे अधिक 3,421 तेंदुए मध्य प्रदेश में मिले। यानी पूरे भारत के एक चौथाई से अधिक तेंदुए मध्यप्रदेश में हैं। इसके बाद कर्नाटक और महाराष्ट्र में क्रमश: 1,783 और 1,690 तक संख्या पहुंच चुकी है।

मध्य भारत और पूर्वी घाट में सबसे ज्यादा संख्या

भारत में तेंदुए मुख्य रूप से इन चार इलाकों में पाए जाते हैं, मध्य भारत और पूर्वी घाट, पश्चिमी घाट, शिवालिक एवं गंगा के मैदानी इलाके और पूर्वोत्तर के पहाड़ी क्षेत्र। मध्य भारत और पूर्वी घाटों में तेंदुओं की संख्या सर्वाधिक 8,071 पायी गई है। इस क्षेत्र में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश हैं। इसके बाद पश्चिमी घाट (कर्नाटक, तमिलनाडु, गोवा और केरल) क्षेत्र में 3,387 तेंदुए मिले हैं। शिवालिक एवं गंगा के मैदानी इलाके (उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार) में तेंदुओं की संख्या 1,253 मिली है। पूर्वोत्तर के पहाड़ी क्षेत्र में (अरुणाचल प्रदेश, असम और पश्चिम बंगाल) 141 तेंदुए हैं।

संख्या बढ़ने और घटने के कारण

तेंदुए परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढाल लेते हैं। आवास और भोजन की आवश्यकताओं की अनुसार यह सघन खेती वाली जगहों और शहरी इलाके के पास भी पाए जाते हैं। वे विपुल प्रजनक हैं और करीब 10% वार्षिक दर के हिसाब से इनकी आबादी बढ़ जाती है। हालांकि, पिछले कुछ सालों में उनकी संख्या में काफी कमी आई थी। उनके रहने की जगह को हो रहा नुकसान, शिकार के लिए जानवर न मिलना और तेंदुए के अवैध शिकार इसके कारण रहे हैं। एक अध्ययन के अनुसार, पिछले 120 से 200 साल के बीच में भारत में तेंदुओं की संख्या 75 से 90 फीसद तक कम हो गई थी।

भारतीय तेंदुआ

दुनिया में तेंदुए की 9 उप-प्रजातियां हैं। सबसे ज्यादा आकार वाले क्षेत्र में अफ्रीकी तेंदुआ पाया जाता है। यह मोरक्को और उप-सहारा अफ्रीका में मिलता है। इसके बाद भारतीय तेंदुए ज्यादा पाए जाते हैं। यह म्यामार और तिब्बत में भी मिलते हैं। इनके अलावा, जावन, अर्बियन, पर्सियन, अमूर, इंडोचाइनीज और श्रीलंकन प्रजाति के तेंदुए दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में पाए जाते हैं।