ऐतिहासिक जीत की ओर भाजपा, तीसरे नंबर पर भी रही तो मानो हैदराबाद का किला फतेह

अगर हैदराबाद का किला फतेह करने में भाजपा सफल रहती है तो विधानसभा में अच्‍छा प्रदर्शन करने की उम्‍मीद जागेगी। अभी तेलंगाना की 119 विधानसभा सीटों में भाजपा के पास सिर्फ 2 सीट है। वहीं 17 लोकसभा सीटों में से उसके 4 सांसद हैं।

ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (GHMC) चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ऐतिहासिक जीत की ओर बढ़ती नजर आ रही है। अगर तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के बाद भाजपा तीसरे स्‍थान पर भी रहती है, तो मानो किला फतेह हो गया। इस बार निगम चुनाव में भाजपा ने फायर ब्रांड नेताओं की पूरी फौज प्रचार के दौरान भाजपा ने उतार दी थी। भाजपा को उम्‍मीद थी कि पार्टी हैदराबाद का किला फतेह कर सकती है। इन चुनावों में अच्‍छा परफॉर्म करेगी, इसलिए शुरुआत से पूरी रणनीति बनाकर प्रचार किया गया। अब इसका परिणाम भी नजर आ रहा है। भाजपा को जीएचएमसी चुनाव के रुझानों में बहुमत मिलता नजर आ रहा है।

भाजपा की परफॉर्मेंस जीएचएमसी चुनाव में ऐतिहासिक इसलिए भी कही जा सकता है, क्‍योंकि पिछले चुनावों में सिर्फ 4 सीटों पर दर्ज करने वाली पार्टी आज 70 से ज्‍यादा सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। ऐसे बेहद कम ही देखने को मिलता है। पिछले चुनाव में 99 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली टीआरएस और 44 सीटें जीतने वाली असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने शायद ही कभी कल्‍पना की होगी कि भाजपा इतना अच्‍छा प्रदर्शन राज्‍य में कर पाएगी। हालांकि, भाजपा को कहीं न कहीं इसका भरोसा था, इसलिए पार्टी ने इतना बड़ा दांव खेला। इस चुनावों में भाजपा ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और उत्‍तर प्रदेश के के सीएम योगी आदित्यनाथ समेत कई दिग्गज नेताओं को प्रचार के लिए उतारा।

तेलंगाना में भविष्‍य की रणनीति के तहत भाजपा ने बड़ा दांव खेला है। भाजपा की ये रणनीति रही है कि ब्‍लॉक स्‍तर से शुरू कर ऊपर तक बढ़ना। अगर हैदराबाद का किला फतेह करने में भाजपा सफल रहती है, तो विधानसभा में अच्‍छा प्रदर्शन करने की उम्‍मीद जागेगी। अभी तेलंगाना की 119 विधानसभा सीटों में भाजपा के पास सिर्फ 2 सीट है। वहीं, 17 लोकसभा सीटों में से उसके 4 सांसद हैं। हैदाराबाद के इलाके में विधानसभा की 24 सीटें आती हैं जबकि 5 लोकसभा सीट हैं।

राज्‍य में निेगम चुनावों से भाजपा को बाहर करने के लिए टीआरएस और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने कोई गठबंधन तो नहीं किया था, लेकिन जनता के बीच ये संदेश भेजा गया था कि ‘बाहरी'(भाजपा) को नहीं जिताना है। दरअसल, टीआरएस ने जहां-जहां अपने उम्‍मीदवार खड़े किए, वहां ज्‍यादातर सीटों पर ओवैसी की पार्टी ने अपने उम्‍मीदवार नहीं उतारे। भाजपा ने 149 सीटों पर अपने उम्‍मीदवार उतारे हैं, तो ओवैसी की पार्टी ने महज 51 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। टीआरएस ने सभी 150 सीटों पर अपने उम्‍मीदवार उतारे हैं।