बड़ी कंपनियां खोल सकेंगी बैंक, आरबीआइ के पैनल की सिफारिश, देश के बैंकिंग ढांचे में व्यापक बदलाव संभव

देश के बड़े कारपोरेट घरानों के बैंकिंग सेक्टर में उतरने का रास्ता साफ हो सकता है। आरबीआइ की एक समिति ने इन कारपोरेट घरानों की तरफ से संचालित होने वाले गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) को एक संपूर्ण बैंक के तौर पर काम करने की इजाजत देने की सिफारिश की है। यही नहीं इन बैंकों में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी की मौजूदा सीमा 15 फीसद से बढ़ा कर 26 फीसद करने की भी सिफारिश की गई है। इन सिफारिशों को अमली जामा पहनाने के लिए सरकार को कई स्तर पर विमर्श करना होगा और बैंकिंग अधिनियम में भारी संशोधन करने होंगे। लेकिन इन्हें अमल में लाने के बाद देश के बैंकिंग सेक्टर में व्यापक बदलाव हो जाएगा।

आरबीआइ ने जून, 2020 में बैंकों में इक्विटी होल्डिंग के पैटर्न में बदलाव पर सुझाव देने के लिए आंतरिक कार्य दल का गठन किया था जिसकी रिपोर्ट शुक्रवार को सार्वजनिक की गई है। कार्य दल का पहला सुझाव यही है कि 15 वर्षों में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 26 फीसद हो। दूसरा सुझाव है कि गैर-प्रवर्तक हिस्सेदारों के लिए शेयर होल्डिंग की सीमा 15 फीसद हो। तीसरा सुझाव है कि बड़े कारपोरेट घरानों या औद्योगिक कंपनियों को बैंकिंग कानून,1949 में संशोधन के जरिए प्रवर्तक बनने की इजाजत दी जाए। बड़ी कंपनियों की तरफ से चलाए जा रहे 50 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा आकार के एनबीएफसी को 10 वर्षों के संचालन के बाद बैंक में तब्दील करने की सिफारिश भी है। इसका मतलब हुआ कि बजाज फाइनेंस, एलएंडटी फाइनेंस जैसे एनबीएफसी अब बैंक में तब्दील हो सकेंगे।

पेमेंट बैंक को तीन वर्षों के अनुभव पर स्मॉल फाइनेंस बैंक, स्मॉल फाइनेंस बैंक व पेमेंट बैंक को छह वर्षों के अनुभव पर यूनिवर्सल बैंक में तब्दील करने की भी सिफारिश की गई है। बैंकिंग लाइसेंस के लिए पूंजी आधार की सीमा 5,00 करोड़ रुपये से बढ़ा कर 1,000 करोड़ रुपये करने की सिफारिश की गई है।

उक्त सुझावों में सबसे अहम कारपोरेट घरानों को बैंकिंग कंपनियों का प्रवर्तक बनने और प्रवर्तकों की हिस्सेदारी बढ़ा कर 26 फीसद करने की है। इसके लिए सरकार को कई तरह के नियम बदलने होंगे। मसलन, बैंकिंग अधिनियम की धारा 20 के मुताबिक बैंकिंग कंपनी में किसी निदेशक से जुड़े किसी दूसरी कंपनी को ऋण वगैरह नहीं दिया जाता है। इस संबंध में ‘कनेक्टेड लेंडिंग’ का नियम लागू होता है। इस नियम में बदलाव करने होंगे। माना जा रहा है कि ये सुझाव एक तरह से देश के भावी बैंकिंग व्यवस्था का एक रोडमैप है।

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