हरियाणवीं फ़िल्म ‘छोरियां छोरों से कम नहीं होतीं’ को राष्ट्रीय पुरस्कार

छोरियां छोरों से कम नहीं होतीं ऐसी लड़की की कहानी है जो अपने परिवार के विरोध के साथ दूसरी मुश्किलों का सामना करते हुए अपने सपने पूरा करती है। आईपीएस अधिकारी बनकर वो अपना ख्वाब पूरा करती ही है और पूरे कस्बे के लिए एक मिसाल बन जाती है।

22 मार्च को घोषित हुए 67वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कारों में हरियाणवी फ़िल्म छोरियों छोरों से कम नहीं होतीं को बेस्ट हरियाणवी फ़िल्म चुना गया। इस कामयाबी से उत्साहित सतीश कौशिक ने कहा कि उन्हें यक़ीन था कि फ़िल्म समाज में सही संदेश देगी। सतीश इस फ़िल्म के सह-निर्माता हैं और उन्होंने इसमें अभिनय भी किया है।

बता दें, छोरियां छोरों से कम नहीं होतीं का निर्देशन राजेश बब्बर ने किया है। फ़िल्म में रश्मि सोमवंशी ने मुख्य भूमिका निभायी है, जबकि सतीश कौशिक जयदेव चौधरी के एक अहम किरदार में दिखे। नेशनल अवॉर्ड के लिए चुने जाने के बाद सतीश कौशिक ने कहा- “जब मैं इस फ़िल्म पर काम कर रहा था, मुझे यकीन था कि यह प्रोजेक्ट असरदार साबित होगा और फ़िल्म समाज में सही संदेश देगी। फ़िल्म को मिली सफलता यह साबित करती है मेरा विज़न सही था। सतीश ने फ़िल्म की टीम का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि मैं हरियाणा से हूं और मैं हरियाणवी फ़िल्म इंडस्ट्री के विकास के लिए काम कर रहा हूं। इसलिए मैं व्यक्तिगत रूप से इस फ़िल्म के विषय से जुड़ा हुआ था। फ़िल्म इस पुरस्कार की हक़दार थी।”

बता दें, सतीश कौशिक हाल ही में कोविड-19 के शिकार हुए थे। 17 मार्च को उन्होंने सोशल मीडिया के ज़रिए सूचना दी थी कि उनका कोविड-19 टेस्ट पॉज़िटिव आया है और वो अपने घर पर ही क्वारंटाइन में हैं।

छोरियां छोरों से कम नहीं होतीं एक ऐसी लड़की की कहानी है, जो अपने परिवार के विरोध के साथ दूसरी मुश्किलों का सामना करते हुए अपने सपने पूरा करती है। आईपीएस अधिकारी बनकर वो अपना ख्वाब तो पूरा करती ही है, साथ ही पूरे कस्बे के लिए एक मिसाल बन जाती है। 2019 में रिलीज़ हुई यह फ़िल्म फ़िलहाल ज़ी5 पर उपलब्ध है। इससे पहले सतीश कौशिक निर्देशित फ़िल्म कागज़ काफ़ी सराही गयी थी, जिसमें पंकज त्रिपाठी ने मुख्य किरदार निभाया था और सलमान ख़ान ने इसे प्रोड्यूस किया था।