शिरोमणि अकाली दल की साख बचाने को बादल ने खेला अंतिम दांव

Prakash Singh Badal Padma Vibhushan

पंजाब के पूर्व मुख्‍यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने किसान आंदोलन (Farmer Agitation) पर अपना पद्मभूषण सम्‍मान लौटाकर राज्‍य की सियासत में बड़ा दांव खेला है। माना जा रहा है उन्होंने पंजाब में मुश्किल में फंसे शिअद की साख बचाने को अंतिम दांव खेला है।

किसानों के आंदाेलन (Farmer Protest) पर पंजाब के पूर्व मुख्‍यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की अपना पद्मविभूषण सम्‍मान लौटने की घोषणा बड़ा सियासी कदम है। बादल का यह कदम पंजाब में साख खो रहे शिरोमणि अकाली दल को नया जीवन देने की कोशिश मानी जा रहा है। पंजाब के सियासी जानकारों का कहना है कि बड़े बादल (प्रकाश सिं‍ह बादल) ने अपने पुत्र व पार्टी प्रधान सुखबीर सिंह बादल व शिअद की साख बचाने के लिए अंतिम दांव खेला है।

देश के सबसे बड़े सुधारवादी व नरमपंथी सिख चेहरा माने जाने वाले वयोवृद्ध नेता प्रकाश सिंह बादल 8 दिसंबर को अपना 94वां जन्मदिन मनाने जा रहे हैं। इससे पहले उन्होंने देश के दूसरे नागरिक सर्वोच्च सम्मान माने जाने वाले पद्म विभूषण अवार्ड को वापस करने के लिए राष्ट्रपति को पत्र लिख दिया है। पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी के बाद प्रकाश सिंह बादल एक मात्र ऐसे नेता है जिनका राजनीतिक कैरियर सबसे लंबा रहा हो। पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री की भूमिका निभा चुके बादल ने उम्र के अंतिम पड़ाव में एक बार फिर शिरोमणि अकाली दल की साख को बचाने के लिए बड़ा दांव खेला है।

राजनीतिक जीवन में अजेय रहे है प्रकाश सिंह बादल का राजनीतिक सफर

73 वर्ष के राजनीतिक कैरियर में बगैर कोई चुनाव हारे 11 बार विधायक रह चुके प्रकाश सिंह बादल के कंधों पर अब भी शिरोमणि अकाली दल के संरक्षण की जिम्मेदारी है। अक्टूबर, 2015 में गुरु ग्रंथ साहिब के बेअदबी के बाद पंथक राजनीति में हाशिये पर आई अकाली दल अपने सबसे मजबूत किसान वोट बैंक में भी हाशिये पर आ गई थी। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि सुधार कानूनों का समर्थन करने के कारण किसानों ने अकाली दल के आड़े हाथों ले लिया था।

2015 में हम उम्र लाल कृष्ण आडवाणी के साथ लिया था पद्म विभूषण

किसानों के बढ़ते दबाव के कारण अकाली दल ने भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन तोड़ लिया। शिरोमणि अकाली दल ने केंद्रीय कैबिनेट से हरसिमरत कौर बादल का भी इस्तीफा तो दिलवा दिया, इसके बावजूद किसानों का अकाली दल के प्रति पुनः झुकाव नहीं हुआ। किसानों में लगातार गिरती साख को बचाने के लिए एक बार फिर वयोवृद्ध नेता प्रकाश सिंह बादल ने जिम्मेदारी उठाई। बादल ने राष्ट्रपति को पत्र लिख कर पद्मविभूषण को वापस करने की घोषणा कर दी।

पांच दिन बाद मनाएंगे अपना 94वां जन्मदिन

कांग्रेस छोड़ कर 1952 में अकाली दल से जुड़े प्रकाश सिंह बादल देश के एकमात्र ऐसे नेता है जिन्होंने आजादी से पहले से लेकर आजाद भारत में राजनीतिक उतार-चढ़ाव को देखा। 1957 में पहली बार पंजाब विधानसभा के लिए विधायक चुने गए प्रकाश सिंह बादल आपातकाल के विरोध में सबसे पहले गिरफ्तारी दी थी। बादल पंजाब ही नहीं बल्कि पूरे देश में सबसे उदारवादी सिख चेहरा थे।

1977 में केंद्रीय कृषि मंत्री रह चुके बादल पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी के सबसे करीबी नेताओं में से थे। वर्तमान में भी पंजाब विधान सभा के सदस्य की भूमिका निभा रहे बादल ने किसानों के हित में पद्व विभूषण सम्मान को वापस करके यह साबित कर दिया है कि शिरोमणि अकाली दल किसानों के साथ खड़ी है।

कभी नहीं हारे बादल

प्रकाश सिंह बादल का राजनीतिक कैरियर 1947 से शुरू हुआ था। 1952 में वह अकाली दल में शामिल हुए। 1957 में वह पहली बार विधायक बने। तब से लेकर आज तक वह 11 बार विधायक चुने जा चुके है। जबकि एक बार वह सांसद रहे है और उसी बार उन्हें केंद्रीय कृषि मंत्री भी बनाया गया था। बादल पहली बार 1970 में मुख्यमंत्री बने। दूसरी बार वह 20 जून 1977 से 17 फरवरी 1980 तक मुख्यमंत्री रहे। तीसरा बार उन्होंने 1997 में मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी उठाई। जबकि 2007 और 2012 में वह लगातार दो बार मुख्यमंत्री रहे।