न मास्क न शारीरिक दूरी, कहीं पड़ न जाए भारी

टीकरी बॉर्डर पर सैकड़ों की संख्या में ट्रैक्टर, हजारों की संख्या में पंजाब से आए किसान और राजधानी में कोरोना संक्रमण। ये तीन चीजें ऐसी हैं जो किसानों की मांगों के इतर हर किसी को सोचने पर मजबूर कर रहा है कि कहीं यह लापरवाही भारी न पड़ जाए। एक तरफ दिल्ली में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए सरकार एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए है। हर तरफ जागरूकता के साथ-साथ सख्ती भी दिखाई दे रही है। कोरोना जांच की संख्या भी बढ़ा दी गई है, लेकिन जब टीकरी बॉर्डर का नजारा देखते हैं तो अभी के समय के हिसाब से विस्फोटक कहें तो वह कमतर नहीं होगा।

टीकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के बीच रत्ती भर की शारीरिक दूरी नहीं है। किसी के चेहरे पर मास्क दिखाई नहीं देता है। इसी रास्ते से बहादुरगढ़ से दिल्ली व दिल्ली से बहादुरगढ़ जाने वाले लोग पैदल गुजर रहे हैं। बीच-बीच में रुककर किसानों से बात भी कर रहे हैं। ऐसे में यहां पर अगर अभी एहतियात नहीं बरता गया तो आनेवाले समय में इसका दुष्परिणाम देखने को मिल सकता है।

स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां पर पूरे दिन नारेबाजी चलती रहती है। कोरोना को लेकर किसी प्रकार का भय नहीं दिखाई देता है। सड़क किनारे स्थित दुकानों से किसान खरीदारी भी करते हैं, लेकिन कोई मास्क नहीं पहनते हैं। ऐसे में सरकार को चाहिए कि जिस प्रकार राजधानी के अन्य हिस्सों में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए प्रयास किए जा रहे हैं वही प्रयास इन किसानों के बीच भी किए जाएं, जिससे कि कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा नहीं रहे। स्थानीय लोगों ने बताया कि किसानों की मांगें अपनी जगह है।

वह सरकार से अपनी मांग कर सकते हैं, लेकिन कोरोना को लेकर लापरवाही तो बिल्कुल नहीं होनी चाहिए। किसानों की बातों को सुनने के लिए कई स्थानीय लोग भी इनके बीच पहुंच जा रहे हैं। ऐसे में कम से कम इतनी व्यवस्था जरूर की जाए कि विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान स्वास्थ्य विभाग के निर्देशों का पालन करें और दिल्ली सरकार कोरोना की रोकथाम के लिए जो प्रयास कर रही है उसमें साथ दें।