टाटा और साइरस मिस्त्री केस में वर्ष 2016 से लेकर अब तक

सुप्रीम कोर्ट ने साइरस मिस्त्री को टाटा सन्स के एक्जीक्यूटिव चेयरमैन और कंपनी के बोर्ड के डायरेक्टर पद से हटाए जाने के फैसले को शुक्रवार को सही ठहराया। आइये इस पूरी घटना को सिलसिलेवार समझते हैं…

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को साइरस मिस्त्री और टाटा सन्स हाई-प्रोफाइल कॉरपोरेट मामले में Tata Sons के पक्ष में फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने साइरस मिस्त्री को टाटा सन्स के एक्जीक्यूटिव चेयरमैन और कंपनी के बोर्ड के डायरेक्टर पद से हटाए जाने के फैसले को शुक्रवार को सही ठहराया। आइये इस पूरी घटना को सिलसिलेवार समझते हैं…

24 अक्टूबर 2016– साइरस मिस्त्री टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए गए। रतन टाटा अंतरिम चेयरमैन बने।

20 दिसंबर 2016– मिस्त्री परिवार की ओर से समर्थित दो निवेश कंपनियां साइरस इनवेस्टमेंट्स प्राइवेट लि. और स्टर्लिंग इनवेस्टमेंट्स कॉरपोरेशन प्राइवेट लि. एनसीएलटी की मुंबई बेंच में गयी। उन्होंने टाटा संस पर अल्पांश शेयरधारकों के उत्पीड़न और कुप्रबंधन का आरोप लगाया। मिस्त्री को बर्खास्त करने की कार्रवाई को चुनौती दी गयी।

12 जनवरी 2017– टाटा संस ने टीसीएस के तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी और प्रबंध निदेशक एन. चंद्रशेखरन को चेयरमैन बनाया।

6 फरवरी 2017– मिस्त्री को टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के निदेशक मंडल से भी हटाया गया।

6 मार्च 2017- एनसीएलटी मुंबई ने मिस्त्री परिवार की दो निवेश कंपनियों की अर्जी खारिज की। न्यायाधिकरण ने कहा कि अपीलकर्ता कंपनी में न्यूनमत 10 प्रतिशत मालिकाना हक के मानदंड को पूरा नहीं करता।

17 अप्रैल 2017- एनसीएलटी मुंबई ने दोनों निवेश कंपनियों की उस याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें अल्पांश शेयरधारकों के उत्पीड़न का मामला दर्ज कराने को लेकर कम-से-कम 10 प्रतिशत हिस्सेदारी के प्रावधान से छूट देने का आग्रह किया गया था।

27 अप्रैल 2017– ये निवेश कंपनियां अपीलीय न्यायाधिकरण में पहुंचीं।

21 सितंबर 2017– अपीलीय न्यायाधिकरण ने दोनों निवेश कंपनियों की उत्पीड़न और कुप्रबंधन के खिलाफ मामला दायर करने के लिए न्यूनतम हिस्सेदारी के प्रावधान से छूट देने के आग्रह वाली याचिका स्वीकार कर ली। हालांकि उसने मिस्त्री की दूसरी याचिका को खारिज कर दिया, जिसे एनसीएलटी विचार करने लायक नहीं होने के आधार पर खारिज किया था। अपीलीय न्यायाधिकरण ने एनसीएलटी की मुंबई पीठ को नोटिस जारी करने और मामले में सुनवाई करने को कहा।

5 अक्टूबर 2017- निवेश कंपनियों ने दिल्ली में एनसीएलटी की प्रधान पीठ से संपर्क कर पक्षपात का हवाला देते हुए मामले को मुंबई से दिल्ली स्थानांतरित करने का आग्रह किया।

6 अक्टूबर 2017– एनसीएलटी की प्रधान पीठ ने याचिका खारिज कर दी और दोनों निवेश कंपनियों पर 10 लाख रुपये की लागत का जुर्माना थोपा।

9 जुलाई 2018: एनसीएलटी मुंबई ने मिस्त्री की याचिका खारिज की, जिसमें टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाये जाने को चुनौती दी गयी थी।

3 अगस्त 2018: दोनों निवेश कंपनियां एनसीएलटी के आदेश के खिलाफ अपीलीय न्यायाधिकरण गयीं।

29 अगस्त 2018: अपीलीय न्यायाधिकरण ने साइरस मिस्त्री की याचिका सुनवाई के लिए दाखिल कर ली।

18 दिसंबर 2019: अपीलीय न्यायाधिकरण ने मिस्त्री को टाटा संस का कार्यकारी चेयरमैन बहाल करने का आदेश दिया। मामले में अपील करने के लिये टाटा संस को चार सप्ताह का समय दिया गया।

2 जनवरी 2020: टाटा संस ने एनसीएलएटी के 18 दिसंबर 2019 के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

10 जनवरी: सुप्रीम कोर्ट ने एनसीएलएटी के फैसले पर रोक लगाई।

22 सितंबर: सुप्रीम कोर्ट ने शापूरजी पलोनजी समूह को टाटा संस में अपने शेयर गिरवी रखने से रोका।

8 दिसंबर: विवाद में अंतिम सुनवाई शुरू।

17 दिसंबर: कोर्ट ने विवाद में फैसला सुरक्षित रखा।

26 मार्च, 2020: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एनसीएलएटी के 18 दिसम्बर 2019 के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें सायरस मिस्त्री को ‘टाटा समूह’ का दोबारा कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करने का आदेश दिया गया था।