रिटर्न का रहस्य समझना चुनौतीपूर्ण, पर मुश्किल भी नहीं

निवेश की दुनिया में मात्रा काफी अहम होती है। दुर्भाग्य से सिर्फ पेशेवर निवेशक ही नियमित तौर पर यह सवाल पूछते हैं कि निवेश से कितना रिटर्न मिला। इंडिविजुअल निवेशक को हमेशा यह पता रहता है कि बैंक और दूसरे तरह की डिपॉजिट पर कितना रिटर्न मिल रहा है।

हम लोगों में से बहुत से लोग मानते हैं कि वे निवेश के बारे में बेहतर समझ रखते हैं। हमारी सोच है कि निवेश के बारे में बुनियादी समझ आम बात है। लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। निवेश पर मिलने वाला रिटर्न एक बहुत बुनियादी चीज है, लेकिन सब इसके बारे में सही जानकारी नहीं रखते हैं। कई बार यही निवेशकों के नुकसान, या अपेक्षाकृत कम लाभ का कारण बनता है।

मेरे एक मित्र ने अपने रिश्तेदार से मिलवाया और उनका निवेश देखने को कहा। मैंने उनसे पूछा कि आपको अपने म्यूचुअल फंड निवेश से कितना रिटर्न मिल रहा है। उनको इसके बारे में कुछ भी पता नहीं था। इसके बाद उन्होंने अंदाजा लगाया कि यह बैंक एफडी रिटर्न के बराबर होना चाहिए।

एक अन्य व्यक्ति का मानना था कि उन्होंने वैल्यू रिसर्च ऑनलाइन और फंड की अपनी वेबसाइट सहित दूसरी वेबसाइट पर म्यूचुअल फंड का एक साल, दो साल और तीन साल का जो रिटर्न देखा है, वह इस अवधि के लिए ऐसा रिटर्न है जिसका भविष्य के लिए वादा किया गया है। उनको इस बारे में कुछ पता नहीं था कि पिछले वर्षो का उनका वास्तविक रिटर्न कितना था और यह कैसे पता किया जाए। दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने इसके बारे में कभी सोचा भी नहीं।

इसके लिए निवेशक जिम्मेदार नहीं हैं। दिक्कत यह है कि फंड बेचने वाली कंपनियां निवेशक को वास्तविक रिटर्न के बारे में आधिकारिक तौर पर जानकारी नहीं देती हैं।

निवेश की दुनिया में मात्रा काफी अहम होती है। दुर्भाग्य से सिर्फ पेशेवर निवेशक ही नियमित तौर पर यह सवाल पूछते हैं कि निवेश से कितना रिटर्न मिला। इंडिविजुअल निवेशक को हमेशा यह पता रहता है कि बैंक और दूसरे तरह की डिपॉजिट पर कितना रिटर्न मिल रहा है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बैंक डिपॉजिट का रिटर्न निर्धारित होता है और यह जानकारी निवेशक को पहले ही दी जाती है। लेकिन स्टॉक्स, फंड और रियल एस्टेट को लेकर बहुत कम निवेशकों को यह जानकारी रहती है कि तुलनामक सालाना रिटर्न कितना है।

एक और व्यक्ति जिनको मैं जानता हूं उन्होंने 1997 में 21 लाख रुपये में एक अपार्टमेंट खरीदा था। कुछ साल पहले उन्होंने इसे 97 लाख रुपये में बेचा। उनको ऐसा लग रहा था कि उन्होंने जोरदार मुनाफा कमाया। हालांकि, उनको इस निवेश पर सालाना 12 फीसद रिटर्न मिला। समान अवधि में बीएसई सेंसेक्स का रिटर्न 12.9 फीसद रहा और सेंसेक्स को ट्रैक करने वाले फंड का रिटर्न 18.1 फीसद रहा। मेरा मानना है कि रिटर्न की ठीक से गणना नहीं करने वाले निवेशक इसकी भारी कीमत चुकाते हैं। ऊपर दिया गया उदाहरण लंबी अवधि के लिए है। लेकिन रिटर्न को लेकर बुनियादी समझ होना कम अवधि के लिए भी बेहद अहम है। दुर्भाग्य से रिटर्न की गणना का कोई सरल फार्मूला नहीं है। फिर भी, इसके दो तरीके हैं। पहला, माइक्रोसॉफ्ट एक्सल जैसे स्प्रेडशीट प्रोग्राम का इस्तेमाल करें और यह सीखें कि इंटरनल रेट ऑफ रिटर्न के लिए फंक्शन का इस्तेमाल कैसे किया जाए। इसके लिए इंटरनेट से आपको काफी मदद मिल सकती है। दूसरा तरीका, ऑनलाइन पोर्टफोलियो मैनेजर का इस्तेमाल करें, जो आपके लिए गणना करेगा।

बेहतर होगा कि आप पहला तरीका सीखें फिर सुविधा के लिए दूसरे तरीके का इस्तेमाल करें। हालांकि, रिटर्न को सही तरीके से समझने की बात है तो आपको यह काम खुद करना होगा। जो आपको निवेश बेचते हैं, वे इसमें आपकी कोई मदद नहीं करने वाले हैं। निवेश के कारोबारी जानकार निवेशकों को शायद ही पसंद करेंगे।

(लेखक वैल्यू रिसर्च ऑनलाइन डॉट कॉम के सीईओ हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं।)